ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा के साथ धूमधाम से मना बसंत पंचमी पर्व

शिवपुरी। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 फरवरी को बसंत पंचमी का त्योहार पूरे जिले में धूमधाम के साथ मनाया गया और बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा का विधान किया गया। इस शुभ दिन सभी शिक्षण संस्थानों में विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा की गई। सरस्वती को कला की भी देवी माना जाता है इसलिए कला क्षेत्र से जुड़े लोगों ने भी माता सरस्वती की विधिवत पूजा की साथ ही साथ पुस्तकओं एवं कलम की पूजा भी की। पीले रंग के इस त्यौहार के आते ही सर्दी कम होना शुरू हो जाती है। आज लोगों द्वारा कुछ खास मिठाइयां और पकवान बनाये गए। पारंपरिक रूप से यह त्यौहार बच्चों की शिक्षा के लिए काफी शुभ मना गया है इसलिए देश के अनेक भागों में इस दिन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का श्रीगणेश भी किया जाता है। 

ऋतुओं का राजा बसंत
बसंत ऋ तुओं का राजा माना जाता है। यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है। इस अवसर पर प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है। वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है की ऋतुओं में मैं बसंत हूं।

जानें क्यों की जाती है बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा
यह त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है-ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की। लेकिन अपने सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। यह देखकर ब्रह्माजी अपने कमण्डल से जल छिडक़ा। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी तथा दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की, इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया।
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