हिंसा से बचना असंभव, लेकिन अन्य पापों से बचा जा सकता है: साध्वी रमणीक कुंवर जी

शिवपुरी। 18 पापों में से हिंसा एक मात्र ऐसा पाप हैं जिससे बचना असंभव है क्योंकि हिंसा करने से ही नहीं बल्कि अपने आप भी होती है। लेकिन हिंसा के अलावा क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह, अब्रह्मचर्य, चुगली करना, कपट करना आदि ऐसे पाप हैं जिनसे बचा जा सकता है। उक्त उदगार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने स्थानीय पोषद भवन में आयोजित विशाल धर्मसभा में व्यक्त किए। साध्वी मंगल प्रभाश्री जी ने अपने प्रवचन में कहा कि सेवा, सरलता, विनम्रता और सहिष्णुता से ही व्यक्ति महान और बड़ा बनता है। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने कहा कि आज के दौर में पारिवारिक रिश्ते इसलिए तार-तार हो रहे हैं क्योंकि उनमें से आत्मीयता का लोप होता जा रहा है। 

धर्मसभा के प्रारंभ में साध्वी वंदनाश्री जी ने मीठे-मीठे बचन होते हैं गुरू के, जिंदगी बदल जाते हैं भजन का सुमधुर स्वर में गायन कर माहौल को भक्तिपूर्ण बनाया। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अपने उदबोधन में कहा कि जैन धर्म के अनुयायियों ने इस धर्र्म को जीव हिंसा न करने तक सीमित कर दिया है। लेकिन हिंसा वह भी होती है जिसमें किसी के प्रति कटू बचन बोले जायें, किसी को अपमानित और जलील किया जाए तथा मन ही मन में किसी के अमंगल की कामना की जाए, एवं अपने अहंकार का प्रदर्शन किया जाए। सही मायनों में ये कृत्य भी हिंसा ही है। 

जहां तक हिंसा का सवाल है तो इससे बचना इसलिए असंभव है क्योंकि सोते, जागते,उठते, बैठते, यहां तक कि श्वांस लेते हुए हुए भी जीवों की हिंसा हो रही है जिनसे कैसे बचा जा सकता है। इस तरह की हिंसा होने का कृत्य व्यक्ति को कच्चे धागे से बांधने जैसा है। जिससे मुक्ति थोड़ी सी धर्म आराधना से संभव है। इस हिंसा में मन और वचन की निर्लिप्ता नहीं है। लेकिन हिंसा करने में मन और वचन भी जुड़ जाते हैं तथा ऐसा हिंसक कृत्य व्यक्ति को लोहे की सलाखों से बांधने जैसा है। 

उदाहरण देते हुए साध्वी रमणीक कुंवर जी ने बताया कि अर्जुन माली प्रतिदिन 6 पुरूषों और एक स्त्री की हत्या करता था, लेकिन इसके बाद भी वह मोक्ष में गया क्याकि हिंसा का कृत्य वह शारीरिक रूप से अवश्य करता था, लेकिन उसमें मन और वचन की लिप्तता नहीं थी। हिंसा उसके द्वारा इसलिए की जाती थी क्योंकि उसके मन पर एक यक्ष ने कब्जा कर लिया था और यक्ष के बाहर निकल जाने के बाद अर्जुन माली ने प्रायश्चित किया एवं लोगों की प्रताडऩा सहकर वह मोक्ष को प्राप्त हुआ। 

कल मनाई जाएगी मालव केशरी सौभाग्यमुनि जी की जयंती
पोषद भवन में कल 4 फरवरी शनिवार को सुबह 9:15 बजे से मालव केशरी गुरूवर सौभाग्यमुनि जी महाराज की 120 वीं जन्म जयंती साध्वी रमणीक कुंवर जी के सानिध्य में मनार्ई जाएगी। इस अवसर पर गुरूवर के व्यक्त्वि पर साध्वियों द्वारा प्रकाश डाला जाएगा वहीं श्रावक और श्राविका धर्माराधना कर गुरू के प्रति अपने श्रद्धासुमन को अर्पित करेंगे। सभी धर्मानुरागी भार्ईयों एवं बहिनों से गुरू जी की जयंती समारोह में उपस्थित होने की अपील की गई है।