गाथा मेरे राष्ट्र की: नेता चरित्रहीन और गुरू नचैया तो कैसे हो उद्धार

शिवपुरी। वैदिक संस्थान और पब्लिक पार्लियामेंट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय गाथा मेरे राष्ट्र की कार्र्यक्रम के दूसरा सत्र डॉ. रामकुमार शिवहरे के मु य आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में अपने उदबोधन देते हुए आचार्य सोमदेव आर्र्य ने बताया कि जिस राष्ट्र की अपनी सभ्यता, संस्कृति और भाषा नहीं होती वह राष्ट्र, राष्ट्र नहीं होता। 

श्री आचार्य ने राजा और नेता को भी परिभाषित किया और बताया कि जिस राजा की नीति कल्याणकारी हो उसे सफल राजा कहा जाता है वहीं राष्ट्र का नेता तब ही नेता होता है जब वह देश वासियों को संगठित करके रखे और वह चरित्रवान हो। 

कार्यक्रम का प्रथम सत्र प्रात: 9 बजे से प्रारंभ होकर 11 बजे तक चला। जबकि दूसरा सत्र दोपहर 3:30 बजे से 5 बजे तक स्थानीय संजय लॉज में आयोजित किया गया। आज तीसरे सत्र में आचार्य सोमदेव आर्य ने राष्ट्र के उन भूले विसरे शहीदों पर अपना उदबोधन दिया और उनसे जुड़े प्रेरक प्रसंगों को सुनाया। कार्र्यक्रम का सफल संचालन कु. प्रतिज्ञा गौतम ने किया। 

जिस पर राजा ने आश्र्चय जाहिर कर कहा कि देश में इतना विकास है फिर भी आप अच्छे दिन और बुरे दिन का विचार नहीं कर पा रहे हैं फिर भी राजा ने कहा कि वह उसके दादा जी से सुनना चाहते है कि उनका क्या मत है और राजसभा में मंत्री के दादा जी को बुलाया गया जहां दादा जी ने राजा से कहा कि उनके पिता के और दादा जी के समय जनमानस कितना सुखी था और आज उनके राज्य में जनमानस की क्या स्थिति है आप इसका आंकलन कर लेंगे तो उन्हें अच्छे और बुरे दिन का ज्ञान हो जाएगा। 

राजा ने दादा जी की बात का चिंतन किया और उन्होंने अपने कार्र्यकाल के उस विकास को दरकिनार कर उनके पूर्वजों के राज्य में हुए विकास कार्य को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए अपनी हार स्वीकार कर ली इस तरह के कर्ई उदाहरण आचार्य श्री द्वारा दिए गए। 

व्यासपीठों से कृष्ण को बदनाम करने की साजिश
गाथा मेरे राष्ट्र की कार्यक्रम के मु य वक्ता आचार्र्य सोमदेव आर्य ने अपने विचारों को लोगों के समक्ष रखा और बताया कि योगेश्वर कृष्ण को किस तरह से व्यासपीठों पर बैठे आचार्यो ने बदनाम करने की साजिश रची है जो अपने स्वार्थ के लिए कृष्ण को बदनाम कर रहे हैं। श्रीमद् भागवत कथा में कृष्ण और राधा की रास लीला का वर्णन कर स्वयं आचार्य और कथा सुनने आर्ई महिलाओं को नृत्य कराया जाता है जबकि श्रीकृष्ण नीतिवान और ज्ञानी थे। देश के 45 हजार रजिस्ट्रर्ड गुरूओं ने इतिहास में मिलावट कर श्रीमद् भागवत कथा को मनोरंजन का माध्यम बना दिया है। 

आचार्य सोमदेव आर्य ने राष्ट्र कथा के दौरान देश की राजनीति और आशाराम बापू पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि जिस देश का नेता चरित्रहीन हो और गुरू नचैया हो तो उस देश का गर्र्त में जाना निश्चित है। 

अगर गुरू और नेता ही पथ भ्रष्ट हो गए तो देश ही बिगड़ जाएगा। इससे संबंधित कई उदाहरण भी दिए गए । उन्होंने कहा कि देश में एक गुरू कथा कहने से पहले मंच पर आकर नाचता है और फिर महिलाओं को नचाता है, लेकिन आज उस गुरू की जो स्थिति है। वह सर्र्व विदित है। इसलिए गुरू को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए।