
हुआ यह कि वार्ड क्रमांक 35 की आधा सैकड़ा से अधिक महिलाएं कलेक्ट्रेट पहुंची। जहां उन्होंने कहा कि पिछले 10 माह से उन्हें राशन नहीं मिल रहा है। जबकि उनके पास राशन कार्ड मौजूद है। इसके बाद सभी महिलायें जनसुनवाई कक्ष में आक्रामक अंदाज में घुस आई और उन्हें रोकने के सारे प्रयास विफल हो गए।
यह देखकर प्रभारी कलेक्टर नेहा मारव्या और अतिरिक्त कलेक्टर श्रीमती नीतू माथुर हतप्रभ रह गई। एसडीएम रूपेश उपाध्याय ने महिलाओं को नियंत्रित करने का प्रयास किया लेकिन इसमें वह सफल नहीं हुए। महिलाओं ने प्रभारी कलेक्टर से कहा कि उन्हें 10 माह से राशन नहीं मिल रहा है और उनके समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गर्ई है।
प्रभारी कलेक्टर ने एक राशन कार्ड को देखकर कहा कि इसमें उन्हें अक्टूबर माह में राशन मिला है। इसलिए वह कैसे कह सकती है कि उन्हें 10 माह से राशन नहीं मिला। प्रभारी कलेक्टर ने कहा कि जो महिला सभी महिलाओं का नेतृत्व कर रही है वह झूठ बोल रही है।
इस पर महिलाओं ने स्वीकार किया कि उन्हें पार्षद के कहने से दीपावली पर राशन जरूर मिला था, लेकिन इसके पूर्व और न इसके बाद उन्हें राशन मिला है लेकिन तब तक प्रभारी कलेक्टर तमतमा चुकी थीं, उन्होंने महिलाओं को कक्ष से बाहर जाने का निर्देश सुना दिया और कहा कि वह बाहर जायें और अपने राशन कार्ड खाद्य अधिकारी को दिखायें। नहीं जाने पर उन्हें जेल भिजवा दिया जाएगा। उनकी इस बात पर माहौल में काफी तनाव छा गया और महिलाएं बड़बड़ाती हुई तथा प्रशासन की असंवेदनशीलता को कोसती हुई बाहर निकल आईं।