डीपीसी की गुण्डागिर्दी: मानव अधिकार आयोग ने लिया संज्ञान

शिवपुरी। डी कंपनी के कर्ताधर्ता डीपीसी शिरोमणि दुबे की गुण्डागर्दी की खबरों को मानवअधिकार आयोग ने संज्ञान में ले लिया है। सार्वजनिक रूप से शिक्षकों को जलील करने के लिए कुख्यात जिला परियोजना समन्वयक शिरोमणी दुबे के लिए मंगलवार को घटित हुआ मामला दुश्वारियों भरा साबित हो सकता है। शिक्षिकाओं को जिस तरह चलती बस से उतारकर हाईवे पर खड़ा कर उनके फोटो खींचने और सवारियों व अन्य लोगों की मौजूदगी में फटकार लगाने के मामले को मानव अधिकार आयोग ने भी संज्ञान में ले लिया है। 

शिवपुरी में आयोग के जिला कॉर्डीनेटर आलोक एम इंदौरिया ने मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आए इस मामले से प्रदेश मानव अधिकार आयोग को भी अवगत करा दिया है। बकौल इंदौरिया इस तरह शिक्षक-शिक्षिकाओं की निजिता को कोई भी अधिकारी भंग नहीं कर सकता और न ही सार्वजनिक तौर पर इस तरह की कार्यवाही को अंजाम दे सकता है। फिर चाहे वह जिला कलेक्टर ही क्यों ना हों? 

इधर महिला आयोग तक भी मामले की शिकायत जा पहुंची है। बताया जा रहा है कि एक दो दिन में राज्य महिला आयोग भी इस मामले में कोई प्रभावी कदम उठा सकता है। कुल मिलाकर सुर्खियों में रहने के शौकीन डीपीसी दुबे को यह कार्यवाही महंगी पड़ सकती है। 

कर्मचारी संगठन आये विरोध में 
इस पूरे मामले को लेकर शिक्षक व कर्मचारी संगठन भी बेहद खफा हैं और विरोध के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। मध्यप्रदेश कर्मचारी कांग्रेस, शिक्षक कांग्रेस, अध्यापक संघ, राज्य कर्मचारी संघ सहित कुछ अन्य कर्मचारी संगठनों के नेता बुधवार की शाम इस संबंध में बैठक आयोजित कर रणनीति बना रहे हैं। ऐसे में संभव है कि गुरूवार को कर्मचारियों का विरोध सडक़ों पर सामने आ सकता है। 

कार्यवाही के दौरान अपात्रों की मौजूदगी पर भी सवाल
जहां शिक्षिकाओं को सरेराह बस से उतारने और उनके फोटो खींचने को लेकर बबाल मचा है तो वहीं इस कार्यवाही के दौरान डीपीसी के साथ मौजूद अमले में कुछ अपात्रों के साथ रहने को लेकर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। विभागीय सूत्र बताते हैं कि बस में शिक्षक-शिक्षिकाओं को चिन्हित करने की कार्यवाही के दौरान जो सीएसी साथ में थे उनमें से सीएसी दिनकर नीखरा ठर्रा जनशिक्षा केन्द्र में पदस्थ हैं जबकि एक अन्य सीएसी राकेश श्रीवास्तव भी किसी अन्य क्षेत्र में पदस्थ हैं बावजूद उनके इस कार्यवाही में मौजूद रहने को लेकर डीपीसी पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। 

मोबाइल व फोटो व राज्य सरकार ने लगा दी थी रोक
महिला शिक्षिकाओं के साथ किसी प्रकार के अप्रिय हालात निर्मित न हों इसके लिए पिछले दिनों शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के बाहर शिक्षक-शिक्षिकाओं के मोबाइल नंबर व फोटो अंकित किए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस कार्यवाही से शिक्षिकाओं की परेशानी बढ़ सकती थी, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बस में से उतारकर शिक्षिकाओं के फोटो खींचना व वीडियोग्राफी कराना कहां तक जायज है?