जिला चिकित्सालय खुद बीमार, एक्सरे बंद, दवाओं का टोटा

शिवपुरी। यहां के जिला चिकित्सालय में इन दिनों बुरा हाल है। करीब दो साल पहले आई उच्चतम क्षमता की एक्स-रे मशीन बंद पड़ी हैं और जीवन-रक्षक दवाओं का टोटा है। कहने को यह अस्पताल मध्यप्रदेश के श्रेष्ठतम अस्पतालों में शुमार है, लेकिन इन दिनों यह अस्पताल बद्हाली और लूट का जरिया बना हुआ है। ओपीडी के पर्चें बनाने तक में दोगुनी राशि वसूली जा रही है। नेत्र विभाग में आंखों के ऑपरेशन बंद हैं।

अस्पताल में दो साल पहले 60 एमएम की डिजीटल एक्स-रे मशीन स्वास्थ्य संचालनालय द्वारा भेजी गई थी। इस मशीन द्वारा बारीक से बारीक शरीर के अंगों की रंगीन तस्वीर खींचने की क्षमता है। रीढ़ की हड्डी के एक्स-रे इसी मशीन से किए जाने संभव है, लेकिन यह मशीन आने के समय से ही बंद पड़ी है। 

इसके अलावा कई तरह की नई इलेक्ट्रोनिक एवं डिजीटल मशीनें कबाडख़ाने के हवाले कर दी गई हैं। इन मशीनों की कीमत लाखों रुपए है। इन मशीनों को चलाने वाले ऑपरेटर भी नहीं हैं। लिहाजा मशीनों के बंद पड़े होने से रोगियों के एक्स-रे व जांचें बाजार में करानी पड़ती हैं।

जिला अस्पताल में 300 प्रकार की मु त दवाएं देने का प्रावधान हैं। जबकि इस समय बमुश्किल 150 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं। जब कोई आला अफसर अस्पताल के स्टोर का निरीक्षण करते हैं तो वहां अस्पताल अधीक्षक ने चालाकी बरतते हुए अन्य दवाओं के नमूनों के दो-दो, चार-चार पत्ते रख रखे हैं।

जिससे कि अधिकारियों को भ्रमित किया जा सके। जबकि ये दवाएं न तो पिछले छह माह से खरीदी गई हैं और न ही डाक्टरों ने पर्चों पर लिखी हैं। यदि छह माह के पर्चों की जांच कर ली जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी। खांसी, रक्तचाप और मधुमेह तक की दवाएं कई महीनों से उपलब्ध नहीं हैं। 

डॉक्टर पर्चे पर लिख भी देते है तो दवा दी नहीं जाती। कुत्ते के काटने का इंजेक्शन एआरबी कई दिनों से उपलब्ध नहीं है। जबकि कुत्ते के शिकार रोगी रोज अस्पताल आते है।

अस्पताल में लूट का आलम यह है कि प्रसूता महिलाओं से डिलेवरी कराने के 2000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। डिलेवरी को पलंग में शि ट कराने में वार्डबाय और महिला स्वीपर 200 रुपए लेती हैं। ओपीडी के पर्चे दोगुनी दर में बनाए जा रहे हैं। जबकि सरकारी अस्पतालों में ऐसा कोई नियम नहीें है कि ओपीडी के समय अलग से शुल्क वसूली जाए। 

इस बावत जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह का कहना है कि अतिरिक्त शुल्क लिया जाना गलत है। यदि यह शुल्क वसूला जा रहा है तो मैं इस मामले को योजना समिति की बैठक में प्रभारी मंत्री के समक्ष उठाऊंगा।