
अब तक डीईओ और जेडी को थे अधिकार
स्कूलों में आमतौर पर लंबे समय से गैर हाजिर रहने, अनुशासन हीनता करने या फिर समय पर स्कूल न पहुंचने वाले शिक्षकों पर निरीक्षण के दौरान ही डीईओ या संभागीय संयुक्त संचालक द्वारा कार्रवाई की जाती है। इसके तहत वेतन काटनेए वेतन वृद्धि रोकने और निलंबित करने का प्रावधान है। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ प्राचार्य सीधे कोई कार्रवाई नहीं ले पा रहे हैं।
प्राचार्य की अनुशंसा करने पर ऐसे शिक्षकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस वजह से लोक शिक्षण आयुक्त ने संस्था प्रमुख और शिक्षकों के दायित्वों का नए सिरे से निर्धारण किए जाने का निर्णय लिया है। यह पूरी प्रक्रिया एक साथ की जाएगी। जिससे इसका क्रियान्वयन बेहतर ढंग से हो सकता है।
प्राचार्योंं को अपने संकुल और जन शिक्षा केंद्र के अंतर्गत काम करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई के अधिकार मिलने से अब वे शिक्षक और छात्रों को बेहतर ढंग से अनुशासित कर सकेंगे। प्राचार्यों के अधिकार बढ़ाने और दायित्वों का निर्धारण करने से स्कूल का संचालन भी अच्छे ढंग से हो सकेगा। साथ ही प्राचार्यों की नेतृत्व क्षमता में भी बढोतरी होगी। नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए प्राचार्यो को ट्रेंनिग देने की योजना पर भी काम चल रहा है।
स्कूल की बेहतरी के लिए निर्णय ले सकेंगे प्राचार्य
प्राचार्य अधिकार संपन्न होंगे तो उनको लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। वे स्कूल की बेहतरी के लिए निर्णय लेने में सक्षम हो सकेंगे।
शीतांशु शुक्ला, संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ग्वालियर