में शिवपुरी हूॅ, नस-नस में दौड रही है बेराजगारी,फिजा में घुल गया है भ्रष्टाचार

ललित मुदगल @बात मन की/शिवपुरी। में शिवपुरी हूॅ, कभी स्वर्ग सी सुंदर दिखने वाली शिवपुरी आज हडप्पा संस्कृती से भी ज्यादा पुरानी दिखने लगी है। हर गली में गढडे, रोडो का अपहरण, और शिवपुरी की फिजा में दौडता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी कही इतिहास नही रच दे कि अब चुनावो में शिवपुरी की जनता बडा उल्टफेर कर दे...

एक जमाने में शिवपुरी अपने अनुपम सौन्दर्य, प्राकृतिक पर्यावरण तथा सुन्दर बसाहट के कारण जाना जाता था। खदानें रोजगार का प्रमुख साधन थी और खदान व्यवसाय फलने फूलने के कारण शिवपुरी के बाजारो में रौनक रहती थी। आवागमन के साधन और सडक़ों का नेटवर्क इतना अच्छा था कि ग्वालियर और गुना जाने में कोई परेशानी नहीं होती थी। 

मैं प्यासी और यहां है कर लो कट्टी इकठ्ठी परंपरा
यहां बनी झीलें शिवपुरी की पानी की आवश्यकता को आसानी से पूर्ण कर देती थीं। मेरी झीलों में पानी की जगह मकान तैरते है। झीलों पर अतिक्रमण करने से जलसरंचनाए टूट गई और पानी का स्तर 1 हजार फुट से नीचे चला गया।

इस शहर के पार्षर्दो से लेकर सासंद का चुनाव मेरी जनता के प्यासे कंठो पर लडा जाता है। प्यासे कंठो की समस्या का इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी तक के संज्ञान में है,वे भी इस समस्या पर भाषणवाजी कर भूल गए। शहर की लाईफ लाईन समझी जाने वाली सिंध परियोजना अभी तक पूरी नही हुई है। इस कारण यहां कर जो कट्टी इकठ्ठी परंपरा का जन्म हो गया। कुल मिलाकर यह रिते रह गए है घडे और प्यासे है कंठ। 

मैं शिवपुरी हूॅ, पानी के नही धूल के बादल मंडराते है
सीवर प्रोजेक्ट चलने के कारण शहर की सारी सडके खोद दी गई है। इस कारण यहां पानी के नही धुल के बादल मंडराते है। शिवपुरी शायद एक ऐसा जिला होगा,जिसको अपनी सडके बनवाने के न्यायालय का दरवाजा खटखटना पडा होगा। यहां के जि6मेदार सिर्फ एक नया वादा कर भूल जाते है। और यह भी भूल जाते है कि हम इन सडको पर एक बार ही पैदल चले थे और हमारी चप्पले टूट गई। मेरें जनमानस का प्रत्येक दिन चलने में 1या होता होगा। 

मैं शिवपुरी हूॅ, यहां के रग-रग में दौड रही बेरोजगारी
मेरी विदेशो में पहचाना बनता शिवपुरी स्टोन अब प्रशासन के सोने के पिजंरे में कैद है। खदाने बंद होने के कारण  एक लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हुए वहीं अब खदानें खुली तो हैं, लेकिन इसका लाभ शिवपुरी वासियों को नहीं मिल रहा है और बड़े-बड़े पूंजीपतियों और व्यवसायियों के हाथ में खदानें हैं। पर्यटन के नाम पर औद्योगिकी करण किए जाने से राजनेता लगातार परहेज कर रहे हैं। शिवपुरी का व्यापार और व्यवसाय बुरी तरह चौपट हो चुका है। 

मैं शिवुपरी हूॅ, यहां की फिजा में घुल गया है भ्रष्टाचार 
अफसरशाही के भ्रष्टाचार ने सारी सीमायें तोड़ दी हैं। एडीएम स्तर तक का अधिकारी यहां १० हजार रू की रिश्वत लेते रगें हाथो पकडा जाता है। मासूमो के निबाले पर यहां दलाली होती है और एमडीएम प्रभारी एक महिला अधिकारी का यहां रिश्वत लेते पकडे जाना इस बात को प्रमाणित करता है कि बडे अधिकारी बिना रिश्वत के काम नही करते तो छोटे कर्मचारी जनता का 1या हाल करते होगें। कुल मिलाकर यहां की फिजा में अब भ्रष्टाचार घुल गया है। 

मैं शिवपुरी हूॅ, यहां देश का ब्रांडेड राजघराना राजनीति करता है
ऐसा नही है कि यहां राजनीति के चेहरे नए हो, यहां देश का ब्रांडेड राजघराना राजनीति करता है। फिर भी स्वर्ग सी शिवुपरी हडप्पा सी हो गई है। शिवपुरी का संवारने की चिंता अवश्य है, पर चिंतन नही है। वो कहते हैं उन्होनेे जनसेवा के लिए राजनीति ज्वाइन की है। हर बार उनके दिल में मेरे लिए दर्द महसूस होता है परंतु सबकुछ बस महसूस होकर ही रह जाता है। जिनके पूर्वजों ने मुझे जंगल से शहर बनाया, वही महान परिवार के लोग आज मुझे वापस शहर से जंगल बनते देख रहे हैं, और बस देख रहे हैं।