बुरी खबर: डॉक्टरों की किल्लत के चलते शिवपुरी जिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य सेबाएं वेन्टीलेटर पर

शिवपुरी। प्रदेश के नंबर 1 अस्पताल में यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो एक माह के भीतर ही स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा सकती हैं। पहले से ही डॉक्टरों की कमी से भरपूर इस अस्पताल में जो भी गिने चुने डॉक्टर हैं उनमें से अधिकांश ने स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का मन बना लिया है। मेडिकल विभाग में पदस्थ चारों डॉक्टरों ने बीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है और अन्य विभागों में भी ऐसी ही स्थिति बन रही है। इससे निकट भविष्य में आईसीयू, इमरजेंसी और डायलेसिस सेवाएं बंद हो सकती हैं वहीं ओपीडी भी प्रभावित होने के संकेत हैं, क्योंकि बाह्य रोगी विभाग में 70 प्रतिशत मरीज मेडिकल स्पेशलिस्ट के कोटे के आते हैं।

अस्पताल में मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. पीडी गुप्ता स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। वहीं डॉ. डीके बंसल, डॉ. सीएम गुप्ता और डॉ. रत्नेश जैन ने भी बीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है। डॉ. डीके बंसल का आवेदन स्वीकार हुआ तो वह 5 जनवरी से जिला अस्पताल में नहीं आएंगे। हालांकि पहले भी डॉ. बंसल ने बीआरएस के लिए आवेदन किया था और काफी समय तक वह अस्पताल नहीं आए थे, लेकिन बाद में उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया था अब पारिवारिक परेशानियों के कारण वह बीआरएस लेना चाहते हैं। सरवाइकल पेन से ग्रस्त डॉ. सीएम गुप्ता की सेवानिवृत्ति में अभी तीन साल शेष हैं, लेकिन बीमारी के कारण उन्होंने भी बीआरएस के लिए फार्म भर दिया है।

बताया जाता है कि 15 जनवरी से वह भी अस्पताल में अपनी सेवाएं नहीं देंगे। डॉ. पीएल गुप्ता स्थानांतरित हो चुके हैं। ऐसे में मेडिकल विशेषज्ञ डॉ. रत्नेश जैन ही एक मात्र शेष बचे हैं, परंतु अब जबकि मेडिकल से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं का सर्वाधिक बोझ उन पर ही पडऩे वाला है तो उन्होंने भी बीआरएस के लिए आवेदन कर दिया है। बकौल डॉ. जैन, मैं अकेला पूरे अस्पताल में कैसे मरीजों का इलाज कर पाऊंगा। डॉ. जैन 19 जनवरी से अपनी शासकीय ड्यूटी पर नहीं आएंगे। 

ऐसे में मेडिसन विभाग से संबंधित कोई डॉक्टर न होने से जहां आईसीयू का कोई महत्व नहीं रह गया है वहीं आपातकालीन सेवाएं भी नाम मात्र की रह जाएंगी। किडनी रोग के मरीजों का डायलेसिस भी नहीं हो पाएगा। ऐसा नहीं कि सिर्फ मेडिसिन विभाग में डॉक्टरों का टोटा है। सर्जीकल, अर्थोपेडिक, शिशु रोग और महिला रोग विभाग भी इससे प्रभावित हैं। सर्जीकल में मात्र तीन डॉक्टर डॉ. पीके कुमरा, डॉ. एसके जैन और डॉ. पीके खरे हैं। इस विभाग में साफतौर पर एक डॉक्टर की कमी है जबकि सर्जीकल विभाग में स्वास्थ्य सुविधाएं भी काफी लचर हैं जिससे डॉक्टर जूझ रहे हैं। 

हड्डी रोग विभाग में डॉ. एएल शर्मा के अलावा डॉ. एसके बंसल और डॉ. ओपी शर्मा पदस्थ हैं। इस विभाग में भी कम से कम दो डॉक्टरों की कमी है और सूत्र बताते हैं कि डॉ. एएल शर्मा इंदौर स्थानांतरण में जुटे हुए हैं। निश्चेतना विभाग में तीन पद हैं, लेकिन शिवपुरी अस्पताल में मात्र दो डॉक्टर डॉ. केडी श्रीवास्तव और डॉ. बीसी गोयल पदस्थ हैं। 

शिशु रोग विभाग में जिला अस्पताल में पांच पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां मात्र तीन डॉक्टर डॉ. निसार अहमद, डॉ. आरएस गुप्ता और डॉ. पीके दुबे सेवाएं दे रहे हैं। महिला रोग विभाग में एक मात्र डॉ. उमा जैन हैं जिनके कंधों पर पूरे अस्पताल का बोझ है। रेडियोलॉजिस्ट विभाग में मात्र डॉ. पीएल अग्रवाल पदस्थ हैं। इस विभाग में दो डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पहले से ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल में डॉक्टरों के बड़ी सं या में बीआरएस लेने से चौबीस घंटे स्वास्थ्य सेवाएं कैसे चल पाएंगी?
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