जंगल से शहर बना था यह शहर, अब शहर से जंगल बन रहा है

शिवपुरी। शिवपुरी की प्राकृतिक सुंदरता पर मोहित होकर ही सिंधिया राजवंश ने इस शहर को जंगल से शहर के रूप में बसाया लेकिन अब इसे दुर्भाग्य ही कहेंगें की अब यह शहर जंगल बन रहा है। पर्यटक के नाम पर शिवपुरी मे सब कुछ है लेकिन उचित व्यवस्था और प्लानिंग न होने के कारण पर्यटक इस शहर से दूर है। उक्त खरी-खरी बात कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव द्वारा जिले को पर्र्यटन मानचित्र पर लाने हेतु बुलार्ई गर्ई बैठक में गणमान्य नागरिकों ने सुनाई।  बैठक में कई लोगों ने अनेक उपयोगी सुझाव दिए। जिससे शिवपुरी अपनी खोई हुई सुन्दरता को पुन: प्राप्त कर सकता है। 

बैठक में कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव, एसपी सुनील पाण्डे, एडीएम नीतू माथुर, एसडीएम रूपेश उपाध्याय सहित जिला प्रशासन के अधिकारी, गणमान्य नागरिक, समाजसेवी और पत्रकार बन्धु उपस्थित थे। 

शिवपुरी पर्यटक केन्द्र के रूप में कैसे विकसित होगी जबकि गूगल नक्शे पर यहां का पर्र्यटक केन्द्र के रूप में नाम ही नहीं है। इसलिए पहली आवश्यकता यह है कि देश और प्रदेश के अन्य पर्यटक स्थलों के साथ शिवपुरी का नाम भी गूगल पर सर्च करने पर मिल सके। 

इस सुझाव के बाद एक सुझाव यह भी दिया गया कि पहले यहां टाईगर सफारी थी, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया था। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए शिवपुरी के नेशनल पार्र्क में टार्ईगर सफारी होना अत्यंत आवश्यक हैै ताकि नेशनल पार्र्क में आसानी से पर्यटक जंगल के राजा शेर के दर्र्शन कर सकें। जाधव सागर तालाब को विकसित करने के सुझाव एक कपड़ा व्यवसायी ने दिए। 

उन्होंने कहा कि भोपाल के ताल की तरह जाधव सागर को विकसित किया जाए और जाधव सागर के बीच से एक ओवर ब्रिज बनाया जाए जिस पर घूम कर पर्यटक जाधव सागर की सुन्दरता को निहार सकें। वहीं सुबह-सुबह घूमने बाले भी जाधव सागर के पर्र्यावरण का लु त ले सकें। यह महत्वपूर्र्ण सुझाव भी दिया गया  कि नेशनल पार्र्क में भ्रमण करने की दर काफी अधिक है। 

जिससे यहां के निवासी तक नेशनल पार्क का भ्रमण नहीं कर पाते। इसलिए दरों में कटोती की जाए। पर्यटन केन्द्र बनाने हेतु  प्रदशर्र्नियों का आयोजन किया जाए। वहीं ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्र्यटन से जुड़े प्राकृतिक स्थलों का विकास किया जाए। जैसे छत्री, ादैया कुण्ड आदि स्थलों पर न तो बाथरूम और न ही शौचालय की व्यवस्था है। इसओर भी ध्यान दिया जाए। पर्र्यटक स्थलों पर लाईटिंग की जाए तथा वहां खान पान हेतु स्वल्पाहर गृह बनाए जायें। 

प्राकृतिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था की जाए। लेकिन इससे भी जरूरी हैं कि शिवपुरी की अधो संरचना विकसित की जाए। ताकि सडक़ों आदि के कारण पर्र्यटकों को परेशानी का सामना न करना पड़े तथा उन्हें शिवपुरी पहुंचने के लिए रेल, सडक़ और वायु मार्र्ग की सुविधा प्रदान की जाए। जिले के एक प्राकृतिक स्थल पर जिले के अन्य प्राकृतिक स्थलों के चित्र भी लगाए जाऐं ताकि वहां जाने के लिए पर्र्यटक आकर्र्षित हो सकें।