नगर पालिका की इस कार्यप्रणाली से लग गया शासन को 75 लाख का चूना

शिवपुरी। नियमो के झूठा जाल बुनकर  नपा के कर्ताधर्ताओ ने शासन को 75 लाख का चूना शासन को लगाने की तैयारी कर ली है। नपा के इस काण्ड की लोकायु1त और पीएस तक से करने की खबरे आ रही है। उ1त मामला शहर की सडक़ो से जुडा है। बताया जा रहा है कि नपा के अधिकाारियों ने तयशुदा १३ प्रतिशत 4लो में गए टेण्डर को साजिशन निरस्त कर ८ प्रतिशत अधिक का टेण्डरं मजुंर कर दिया है। 

जानकारी के अनुसार  मु2यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास योजना अंतर्गत शहर में ३ करोड ६० ला2ा रूपए की सडके और नालियों का निर्माण होना था। इस कार्य के लिए एसआरओ रेट से १३ प्रतिशत वाले टेण्डर वाली फर्म का टेण्डर पास हुआ था। उक्त  ठेकेदार ने कार्य में आ रही तकनीकी उलझनो को एक पत्र सीएमओ का लिखा था। 

इसी पत्र को आधार बनाकर नपा के कर्ताधर्ताओ ने नियमो को जाल बुनकर इस टेण्डर की प्रक्रिया को निरस्त कर नए टेण्डर कॉल कर लिए। अब बताया जा रहा है अब इसी कार्य का टेण्डर किया गया और जो टेण्डर पुरानी वाली रेट से ७५ लाख रूपए ज्यादा है। 

इस प्रकरण में उन कई जि6मेदार अधिकारियों और पीआईसी पर भी जांच की ऊंगली उठती दिखाई दे रही है जिन्होंने निहित स्वार्थो के चलते पालिका को सीधे सीधे ७५ लाख के आर्थिक गर्त में ले जाने का तानाबाना बुन डाला। 

मु2य मंत्री अधोसंरचना के इस टेण्डर को एसओआर से ८ प्रतिशत अधिक दर पर मंजूर कर दरों में २१ फीसदी के अंतर को आंख मूंदकर मंजूरी दे डाली। अब यह कॉकस भोपाल से भी इस अनियमितता पर मंजूरी की मोहर लगवाने के लिए सक्रिय हो गया है। प्रकरण में सडक़ की टीएस तकनीकी स्वीकृति भी जांच की जद में आ गई है। 

सूत्रों की माने तो पूर्व इसी टेण्डर में सीवर से क्षतिग्रस्त सडक़ों का जो टेण्डर लगाया गया था उसमें मात्र सरफेस ड्रेेसिंग का प्रावधान रखा गया था और सीवर से क्षतिग्रस्त होने के बावजूद एक मीटर भी खुदाई का प्रावधान नहीं रखा गया था। 

तत्समय जिस फर्म ने १३ प्रतिशत 4लो पर टेण्डर लिया था उसने इस तकनीकी त्रुटि के सुधार हेतु सीएमओ को लिखा भी था मगर तब प्रशासन ने इसकी अनदेखी कर दी और अब इसी निर्माण में ९ मीटर की खुदाई का प्रावधान किए जाने की चर्चा है जो कि बिना एस्टीमेट रिवायस किए और नई टीएस हासिल किए संभव नहीं, ऐसे में जांच के घेरे में वे अधिकारी भी आ रहे हैं जिन्होंने आंख मूंदकर यह बदलाव आनन फानन में किया। 

प्रकरण की शिकायत लोकायुक्त से लेकर पीएस तक को की गई है। यहां गौर तलब यह है कि पालिका ने जिस पीड4लूडी ए1ट के प्रावधान का हवाला देकर अतिरिक्त परमाफारमेंस गारंटी की राशि जमा कराने का अनुचित दबाव बनाया और इसी विन्दु को नियम विरुद्घ कम दर का टेण्डर निरस्त करने का आधार बनाया दरअसल लोनिवि ए1ट में उसका प्रावधान ही समाप्त कर दिया गया था। 

 ऐसे में खोखले ग्राउण्ड पर बिना पत्रों को देखे अधिकारियों ने पालिका को ७५ लाख के गड्डे में ले जा पहुंचाने का कारनामा अंजाम दिया है उसका खामयाजा आने वाले समय में कई लोगों को उठाना पड़ सकता है। अब गेंद भोपाल के पाले में जा पहुंची है जहां भी तथ्यों को छुपा कर इस पर स्वीकृति का ठप्पा लगवाने की तैयारी है।
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