सुशासन के लिए लिपिबद्ध भावपुंज है भारत का संविधान:प्रोफेसर उपाध्याय

शिवपुरी। संविधान देश को चलाने के लिए शासन को चलाने के लिए बनाया गया नियमों के संग्रह का दस्तावेज ही नहीं बल्कि यह सुशासन के लिए लिपिबद्ध एक भावपुन्ज है। संविधान के सन्दर्भ में उक्त उदगार विधि विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. के.एन. उपाध्याय ने संविधान दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में मु यवक्ता के रूप में बोलते हुए व्यक्त किए इस अवसर पर अपने व्या यान में उन्होंने कहा कि संविधान के माध्यम से हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ऐसे भारत का सपना संजोया था जहां सभी लोग समान हों, सभी लोग कानून की मर्यादा में रहें, बीते 67 सालों में हमने अपने संविधान के बलबूते पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं। 

उक्त आयोजन में कॉलेज के विधि विभाग के छात्र.छात्राओं ने भी अपने विचार व्यक्त कियेण् विधि प्रथम वर्ष के छात्र अतुल अग्रवाल ने कहा कि भारत का संविधान केवल निर्जीव काले सफेद अक्षरों का समूह ही नहीं है बल्कि एक जीवित सामाजिक दस्तावेज है। आदित्य राज पाण्डेय ने संविधान के निर्माण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को रेखांकित किया। 

विधि प्रथम वर्ष की छात्रा किश्वर बानो ने संविधान में कार्यपालिका और विधायिका के विरुद्ध गारंटी किये गए मूल अधिकारों जो कि महत्वपूर्ण मानव अधिकार हैं उन पर अपने भाषण में प्रकाश डाला आकांक्षा जाधव ने विधि के शासन की अवधारणा को अपने भाषण में रेखांकित किया। 

शुभांगी धाकड़ ने मूल कर्तव्यों के बारे में बताते हुए देश और समाज को अधिकारों से हटकर कर्तव्यों के प्रभुत्व की दिशा में ले जाने की बात कहीं संविधान दिवस पर आयोजित उक्त कार्यक्रम में प्रो. मधुलता जैन, दिग्विजय सिंह सिकरवार, संजय चौधरी प्रमुख रूप से उपस्थित थे।