नोटबंदी: औधें मुॅह गिरा रीयल इस्टेट का कारोबार, हो रहे है सौदे केसिंल

शिवपुरी। भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गर्ई लड़ार्ई से देश भर का  रीयल इस्टेट बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शिवपुरी में भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा है। जमीन करोबार से जुड़े एक व्यवसायी ने बताया कि 8 नव बर के बाद खरीददारों का टोटा पड़ गया है। 

सौदे करने में लोग हिचक रहे हैं। जिन्होंने बयाना देकर जमीन खरीदने का सौदा किया है वे या तो अपना बयाना वापस मांग रहे हैं अथवा बयाना जप्त कराकर भी सौदा रद्द होने से वे खुश हैं। इसके फल स्वरूप शिवपुरी में जमीनों की कीमत में भी आश्र्चय जनक रूप से गिरावट आर्ई है तथा जमीन, प्लॉट और मकानों के दाम 25 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। इसके बाद भी ग्राहकी नहीं देखी जा रही है। 

पिछले दो ढार्ई साल से जमीन कारोबार काफी मंदगति से चल रहा था। शिवपुरी में इस व्यवसाय में गिरावट के लिए स्थानीय तौैर पर जो कारण बताया जा रहा था वह था कि शिवपुरी का पर्यावरण उड़ती धूल और बढ़ते प्रदूषण के कारण लगातार खराब होता जा रहा था और सिंध नदी का पानी शिवपुरी आने की उ मीद लगातार कम हो रही थी। 

पिछले दो तीन साल से कम वर्षा होने के कारण भी व्यवसाय प्रभावित हो रहा था, लेकिन इस बार अच्छी बारिश और सिंध नदी का पानी मार्र्च 2017 तक शिवपुरी आने की संभावना से जमीन कारोबारी आशा पाले थे कि दीपावली के बाद इस कारोबार में  तेजी आएगी। लेकिन 8 नव बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 और 1000 रूपए के नोट बंद करने की घोषणा से यह कारोबार बुरी तरह धराशाही हो गया है। 

जमीन, प्लॉट और मकान खरीदने वालों को यह चिंता सताने लगी है कि वह अपनी खरीद को किस तरह से न बर 1 में करेंगे। 500 और 1000 रूपए के नोट बंद होने के बाद कैश की कमी भी इस कारोबार में मंदी का एक प्रमुख कारण है। वहीं यह भी चर्चा है कि एक अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अचल संपत्ति की घोषणा आधार कार्ड के साथ पंजीयन कार्र्यालय में करानी होगी। 

इससे भी इस कारोबार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। एक प्रोपर्र्टी ब्रॉकर ने बताया कि दीपावली के बाद उसने चार करोड़ रूपए का एक सौदा कराया था तथा बयाने में खरीददार ने 25 लाख रूपया दिया था, लेकिन अब इस कारोबार में स ती के कारण खरीददार बयाना डूबाने पर तैयार है और बेचबाल उक्त प्रोपर्टी को अब साढे तीन करोड़ में बेचने के लिए तैयार हैं। परन्तु खरीददार नहीं मिल रहे हैं। 

पंजीयन विभाग को टारगेट पूरा करने की चिंता
पिछले दो तीन सालों से जमीन कारोबार में मंदी के कारण पंजीयन विभाग अपने टारगेट को पूर्र्ण नहीं कर पा रहा। इस बार आशा थी कि दीपावली के बाद अच्छी खरीददारी निकलेगी और मार्र्च तक पंजीयन विभाग का टारगेट पूर्र्ण हो जाएगा, लेकिन इस कारोबार पर संकट से अब पंजीयन विभाग को चिंता सता रही है कि वह कैसे टारगेट को पूर्र्ण करे।

हालांकि पंजीयन विभाग ने स्टांप खरीदी में अभी हजार और पांच सौ के पुराने नोट की छूट दी है, लेकिन इसके बाद भी खरीददार आकर्र्षित नहीं हो रहे हैं।