
बैंक के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा वृद्धा को गुमराह किया जाकर लगातार चक्कर लगवा रहे हैं जिस कारण वृद्धा मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान है। पति की मृत्यु के बाद पति के खाते से अवशेष राशि का भुगतान कराने तथा परिवार पेंशन प्रारंभ कराने के सबंध में वृद्धा द्वारा बैंक के वरिष्ठ कार्यालयों व प्रशासन के अधिकारियों को भी अवगत कराया जा चुका है।
परंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि नियमानुसार पेंशनर की मृत्यु के पश्चात परिवार पेंशन के हकदार को शीघ्र ही परिवार पेंशन चालू कराने के निर्देश हैं जिससे उसका जीवन शांति पूर्वक निर्वाह हो सके।
प्रेस को दिये गये आवेदन में 62 वर्षीय साबित्री बाई द्वारा उल्लेख किया गया है कि मेरे पति का देहांत दिनांक 26 जनवरी 2016 को बीमारी के कारण हो गया था। मेरे पति पूर्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से सेवानिवृत्त होकर भारतीय स्टेट बैंक शाखा नरवर से पेंशन प्राप्त कर रहे थे।
पति के निधन के उपरांत मैंने एसबीआई नरवर के निर्देशानुसार बैंक में खाता खुलवाकर परिवार पेंशन शुरू कराने हेतु सारे कागजातों की पूर्ति कर फरवरी 2016 के प्रथम सप्ताह में समस्त कागजात बैंक में जमा करा दिये। इसके उपरांत एक माह बाद से मेरे द्वारा बैंक में चक्कर लगाना शुरू हो गए और बैंक द्वारा 10, 15, 20 या 1 माह का आश्वासन दिया जाता रहा।
बैंक के आश्वासन मिलते मिलते करीब 9 माह हो गये हैं। साबित्री बाई ने बताया कि पति के पेंशन आदेश तथा पीपीओ में उनकी मृत्यु के पश्चातपरिवार पेंशन हेतु मेरा नाम स्पष्ट अक्षरों में अंकित है और मुझे ही परिवार पेंशन दी जाये। फिर भी बैंक द्वारा 9 माह से क्या छानबीन की जा रही है ? यह समझ से परे है। जबकि इसी बैंक में मेरे पति की पेंशन आती रही है।
बैंक द्वारा मेरे पति के खाते की अवशेष राशि का भुगतान भी आज दिनांक तक नहीं किया गया है। साबित्री बाई कोली ने स बंधित अधिकारियों से आग्रह किया है कि पेंशन भुगतान आदेशानुसार शीघ्र ही परिवार पेंशन शुरू कराकर मेरे पति के जीवनकाल की अवशेष राशि का भुगतान कराया जाये। जिससे मेरे पति की मृत्यु के पश्चात समय पर मेरा हृदय रोग इलाज होकर मेरा शांति से जीवन निर्वाह हो सके।