
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ सरस्वती वंदना से किया गया। कार्यक्रम में मंचस्थ अतिथियों का स्वागत ज्ञानसिंह कौरव व्यवस्थापक एवं हेमन्त दीक्षित प्राचार्य द्वारा शॉल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेट कर किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अवधेश नायक ने अपने उद्बोधन में सरस्वती विद्यापीठ द्वारा समाज को सेवा एवं समर्पण भाव रखने बाले भैयाओं का निर्माण करने का सर्वोत्कृष्ट संस्थान बताया। इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों में सांस्कृतिक एवं आनुशासनात्मक अभिरूचि जाग्रत करने का माध्यम है।
क्रांन्तीकारी तात्याटोपे के बलिदान को नमन करते हुए उनके जीवन पर आधारित तात्याटोपे के चरित्र का मन्चन किया गया। विद्यालय के प्रबंधक ज्ञानसिंह कौरव ने प्रस्तावना उद्बोधन दिया ।
महानाट्य तात्याटोपे एक शौर्यगाथा... के निर्देशक चन्द्रपताप सिकरवार, सहनिर्देशक अरविन्द सविता, ध्वनि एवं तकनीकी निर्देशक प्रदीप सिंह चौहान, अनुशासन रामपाल तिवारी, लाइट दीप सिंह भदौरिया, प्रचार प्रसार दिलीप शर्मा एवं श्री प्रयागनारायण शर्मा रहे। आभार प्रदर्शन गोपाल सिंह राठौड द्वारा किया गया। कार्यक्रम की दर्शकदीर्घा में लगभग 3,000 दर्शकों में नगर के गणमान्य नागरिकों सहित अभिभावक, प्रशासनिक अधिकारी, पत्रकार बन्धु एवं विद्यालय के भैया उपस्थित रहे।