
आज इसी क्रम में खोड़, कोलारस सेक्टर के ग्राम मऊकुड़च्चा में स्थित देवस्थान पर 36 गांवों के सहरिया मुखियाओं की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई जिसमें सहरिया क्रांति के आव्हान पर नशा व मृत्यु भोज त्यागने का समाज बंधुओं ने संकल्प लिया।
खोड़ सेक्टर के ग्राम मऊ कुड़च्चा में मुखियाओं की बैठक का शुभार भ लोकगीत के साथ हुआ जिसमे आदिवासी बच्चियों ने क्षेत्रिय भाषा में गीत प्रस्तुत किये। इसके बाद कल्याण आदिवासी ने समाज में व्याप्त कुरीतियों व कुप्रथाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा की आज सहरिया आदिवासी समाज नशा और व्यसनों के मकडज़ाल में उलझा हुआ है जिस कारण विकास से आज भी समाज कोसों दूर है आज सहरिया क्रांति आंदोलन ने समाज को नई रोशनी दिखाई है जिससे जुडकऱ आदिवासी अब अच्छे और बुरे में फर्क करना सीख गया है।
मानकपुर के हल्केराम आदिवासी ने कहा कि सहरिया समाज में युवा मृत्यु दर अन्य समाज से दुगनी ही नहीं बल्कि चौगुनी है, जिसका मूल कारण केवल और केवल नशा ही है, हर सहरिया बस्ती में शराब की अवैध दुकानो का खुलकर संचालन हो रहा है। पुलिस भी इनपर कोई कार्यवाही नही करती और आदिवासी बच्चे इसके लती हो जाते हैं जो 25 से 35 साल की उम्र तक विभिन्न बीमारियों से घिरकर अकाल मौत मर जाते हैं।
हल्के राम ने आगे कहा कि यदि सहरिया समाज को विकास की मु य धरा में जुडऩा है तो उसे शराब का डंटकर विरोध करना होगा साथ ही प्रशासन को भी शराब की अवैध बिक्री करने वाले शराब माफिया पर स त कार्यवाही करना होगी। केमखेड़ा के सहरिया सैनिक बालकिशन- आदिवासी ने दबंगों के चंगुल से पट्टे की अपनी भूमि मुक्त कराने समाज से एकजुट होकर आंदोलन चलाने का आव्हान किया।
बैठक में अन्य गाँवों से आये एक दर्जन से अधिक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने उपस्थित मुखियाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद पहली बार अब सहरिया आदिवासी अब शोषण और दमन के खिलाफ मुखर होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहा है।
सहरिया क्रांति आंदोलन के बाद अब दमनकारी शक्तियों में हडक़ंप की स्थिति है और युवा अपने हक और अधिकार लेने आगे आने लगे हैं आनेवाले कुछ ही बर्षों में अब परिदृश्य कुछ और ही होगा। सहरिया क्रांति आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक पूरी तरह बदलाब नही आ जाता।
बैठक की समाप्ति के बाद मुखिया पंचायत में उपस्थित सैंकड़ों सहरिया आदिवासियों ने देव स्थल पर संकल्प लिया की आज से गाँव में किसी भी युवा मौत व अकाल मौत पर समाज में मृत्युभोज नहीं किया जाएगा साथ ही शराब त्यागने का संकल्प भी सहरिया युवाओं ने माथे पर रज लगाकर लिया। यह संकल्प सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने दिलाया।