पवैया से मंत्री बनने से महल विराधियों को मिली संजीवनी

शिवपुरी। पिछला लोकसभा चुनाव गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में लड़े जयभान सिंह पवैया के प्रदेश मंत्री मंडल में शामिल होने से शिवपुरी में महल विरोधियों की बांछें खिल गर्ई है। अभी तक भाजपा राजनीति में उपेक्षित महसूस कर रहे महल विरोधियों को श्री पवैया के मंत्री बनने से एक तरह से संजीवनी मिल गई है। 

शिवपुरी जिले की भाजपा राजनीति में एक समय महल विरोधी केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा को नेता मानकर राजनीति करते थे, लेकिन बदलते राजनैतिक समीकरण में नरोत्तम मिश्रा ने शिवपुरी जिले की राजनीति से अपने आपको तबसे दूर कर लिया जब वह 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया से पराजित हो गए थे। 

शिवपुरी की राजनीति में भाजपा हाईकमान द्वारा यशोधरा राजे सिंधिया को फ्रीहैण्ड  देने से नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी अपने आपको महल विरोधियों को शरण देने से दूर कर लिया था। 

महल विरोधियों ने प्रभात झा को भी अपना नेता बनाने की कोशिश की थी और श्री झा ने शिवपुरी की छत्री ट्रस्ट की जमीन का मामला उठाकर सिंधिया परिवार पर हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन अचानक वह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद से मुक्त कर दिए गए। 

ऐसी स्थिति में महल विरोधियों को तब स बल मिला जब 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुकाबले कट्टर महल विरोधी जयभान सिंह पवैया को चुनाव मैदान में उतारा। 

श्री पवैया का शिवपुरी जिले की राजनीति से पुराना रिश्ता रहा है। वह ग्वालियर संसदीय सीट से तीन बार लोकसभा चुनाव लड़े हैं और जिले की करैरा विधानसभा सीट ग्वालियर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा रही है। 

यही कारण है कि श्री पवैया के समर्थकों में करैरा और नरवर के भाजपाई सर्वाधिक हैं जिनमें मु य हैं पूर्व जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह रावत, अरविन्द बेडर और प्रमोद जैन, लेकिन श्री पवैया के पिछला लोकसभा चुनाव गुना-शिवपुरी से लडऩे के कारण शिवपुरी के महल विरोधी भी उनके आभामंडल से प्रभावित होकर उनके प्रति आकर्षित हो गए थे। 

भाजपा के जिला कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गोयल जिनका एबी रोड स्थित मकान अतिक्रमण में बताकर नपा और प्रशासन ने हाल ही में तोड़ दिया था। वह श्री पवैया के चुनाव में लगातार सक्रिय रहे और श्री पवैया उनके निवास स्थान से ही पूरे चुनाव का संचालन करते रहे। 

पवैया के चुनाव में कांग्रेस के वीरेन्द्र रघुवंशी को भी भाजपा में शामिल होने की हरी झण्डी मिली। बताया जाता है कि उन्हें भाजपा में लाने में मु य भूमिका जयभान सिंह पवैया की थी। वीरेन्द्र रघुवंशी भी एकाएक महल समर्थक से कट्टर महल विरोधी बन गए थे। जयभान सिंह पवैया के चुनाव के दौरान ही भाजपा के पूर्व नगर महामंत्री भरत अग्रवाल को पार्टी में शामिल किया गया था। 

श्री अग्रवाल को विगत विधानस ाा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में यशोधरा राजे सिंधिया की अनुशंसा पर पार्टी से निकाल दिया गया था। श्री पवैया के मुखर समर्थकों में हेमंत ओझा की भी गिनती है। उन्हें श्री पवैया का समर्थक से अधिक अनुयायी माना जाता है। 

भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी, पूर्व नगर अध्यक्ष ओमप्रकाश जैन ओमी, रामदयाल जैन मावा वाले, पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन, नरेन्द्र बिरथरे, ओमप्रकाश शर्मा गुरू, सोनू बिरथरे आदि भी पवैया समर्थक हैं। 

श्री पवैया के एक कट्टर समर्थक ने बताया कि उनके मंत्री बनने से शिवपुरी जिले की भाजपा राजनीति में निश्चित रूप से एक संतुलन स्थापित होगा। वहीं यह भी चर्चा है कि संतुलन के स्थान पर भाजपा राजनीति में टकराव बढऩे की अधिक आशंका है। और पवैया के समर्थन वाले नेताओ को भाजपा में यशोधरा राजे और नरेन्द्र सिंह तोमर के बाद तीसरे धडे के रूप में देखा जा रहा है। 
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