
अभियोजन की कहानी के अनुसार आरोपी गोकलेश और फरियादी मोहन बंसल आपस में मित्र है। आरोपी ने फरियादी से घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु 75 हजार रूपए की राशि परिवादी से उधार प्राप्त कर उसे भारतीय स्टेट बैंक शाखा शिवपुरी का 75 हजार रूपए का चैक 15 अप्रैल 2013 को दिया।
जब परिवादी मोहन बंसल ने उक्त चैक को मध्य भारत ग्रामीण बैंक शाखा शिवपुरी में भुगतान हेतु दिया तो चैक बिना भुगतान के बैंक द्वारा अपर्याप्त निधि होने के कारण वापस कर दिया गया। जिस पर अभियोगी ने उक्त चैक अनादरित होने की सूचना अधिवक्ता के माध्यम से रजिस्टर्ड डाक द्वारा 3 जुलाई को आरोपी को भेजी गई। लेकिन सूचना में विहित समयावधि गुजर जाने के बाद भी आरोपी ने परिवादी को चैक की राशि का भुगतान नहीं किया।
जिस पर परिवादी ने माननीय न्यायालय में अभियुक्त के विरूद्ध मामला दायर किया। न्यायालय ने अपने फैंसले में लिखा है कि वस्तुत: चैक के संबंध में संदेह जनक स्थिति है तथा खाली चैक दुरूपयोग किए जाने की संभावना भी प्रतीत हो रही है। इस निष्कर्ष के साथ न्यायालय ने अभियुक्त को दोष मुक्त कर दिया।