कोलारस मेें 45 साल बाद हो रहा है चातुर्मास, बहेगी धर्म गंगा

कोलारस। कोलारस में 45 वर्षा बाद इस वर्ष कोलारस में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से उनके शिष्य परम तपश्वी शिष्य मुनि श्री विनीत सागर जी महाराज एवं मुनि श्री चन्द्रप्रभु सागर जी महाराज का चातुर्मास होने जा रहा है।

आज सोमवार को मुनिश्री के चातुर्मास की कलश स्थापना हुई। सोमवार को प्रात: 7 बजे से मंदिर पर भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसके बाद 07:30 बजे से नित्यनिमय पूजन एवं चन्द्राप्रभु विधान का आयोजन किया गया। प्रात: 8:30 बजे से द्वयमुनिश्री के प्रवचन हुए और उसके बाद दोपहर 1 बजे से चातुर्मास स्थापना का आयोजन किया जाएगा। 

कोलारस के चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर पर मुनि श्री के सान्न्ध्यि में सभी लोग धर्म लाभ ले रहे है। मुनि श्री के प्रात: काल 08:15 बजे से मंदिर पर प्रवचन के सभी समाजो के लोग एक साथ मुनि श्री की धर्ममयी वाणी का लाभी लेते है। 

मुनि श्री ने अपने प्रवचन में त्याग का महत्व बताते हुये कहा कि शास्त्रो में लिखा है। कि हमें रोज एक नियम त्याग का लेना ही चाहिये जैन धर्म ही नही वरन सभी धर्मो में त्याग को वहुत महत्व दिया गया है। मुनिश्री ने यह भी बताया कि त्याग का नियम कितना भी छोटा क्यो न हो चाहे वह 10 मिनिट का भी क्यो न हो उससे वहुत से अशुभ कर्मो का नाश होता है। रोज कुछ त्याग करने से असंख्यात बुरे कर्मो का क्षय होता है। 

आप चाहे तो सिर्फ आज के लिए ये त्याग का नियम ले सकते है। या और कोई भी नियम आप अपने अनुसार ले सकते है। मुनिश्री ने अपने प्रवचनो में त्याग का और भी महत्व बताया है। मुनिश्री एक दिन आहार और एक दिन उपवास मतलब 48 घण्टे में एक बार आहार लेने वाले है। इतना ही नही मुनिश्री ने अपने पिछले चातुर्मास में 120 दिन में 35 आहार लिए और वांकि के 85 दिन उपवास किया था।