
यह गुहार माधव बालाश्रम की संचालक सुश्री शैला अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लगाई है। दरअसलए आश्रम में रह रहीं 3 बेटियां रीता,सीता, गीता परिवर्तित नाम ने हाल में उम्र का 18वां पड़ाव पूर्ण किया है। लेकिन कानूनन इन बच्चों को अब आश्रम में रखा नहीं जा सकता और न ही इनके विवाह के बारे में कोई सरकारी नीति है। इसलिए अपनी बेटियों की तरह इन्हें पालने वाली शैला चाहती हैं कि सरकार पहल करे तो इन लाडलियों का घर बस जाएगा।
तीनों बेटियां हुनरमंद
माधव बालाश्रम में रह रहीं सीताए रीताए गीता तीनों ही हुनरमंद हैं। सीता जहां पेंटिंग में माहिर में हैं। वहीं मेंहदी और सिलाई के व्यवसायिक प्रशिक्षण ले चुकी हैं। रीता और गीता की काबिल हैं।
अफसरों ने नहीं दिया जवाब
महिला बाल विकास विभाग के डीपीओ, ज्वाइंट डायरेक्टर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों समेत महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओपी पांडे को भी पत्र भेजकर इनके बारे में निर्णय लेने को कहा है, लेकिन अफसरों ने कोई जवाब नहीं दिया।
18 साल तक ही आश्रम में रखने का है नियम
माधव बालाश्रम में 2 तरह के आश्रम संचालित हैं। शिशु गृह में 6 वर्ष तक के बच्चों को रखा जाता है। इसमें रहने वाली 3 बेटियां हैं। जबकि बालाश्रम में 6-18 साल के बच्चों को रखा जाता है। इसमें 33 बच्चे हैं। इनमें 4 बेटे और 29 बेटियां शामिल हैं। नियमानुसार 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद बालिग बच्चों को आश्रम में नहीं रखा जा सकता। इसलिए आश्रम संचालिका बेचैन हैं। चूंकि उन्हें बच्चों से लगाव है, इसलिए वे बेटियों की शादी का सपना देख रही हैं।
शासन को प्रस्ताव भेजा है
वयस्कों को यहा रखने की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में हमने शासन को प्रस्ताव भेजा है इसके जवाब आने के बाद ही हम कुछ निर्णय ले सकेंगे। ओपी पांडेए महिला सशक्तिकरण अधिकारी
पीएम से अनुमति मांगी है
महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने जब इस बारे में जवाब नहीं दिया तो मैंने बालिग हो चुकीं 3 बेटियों के विवाह के लिए प्रधानमंत्री से अनुमति मांगी है। शैला अग्रवाल, संचालक माधव बालाश्रम