
जैसा कि विदित है कि आज से लगभग 15 साल पहले माधव चौक से प्रशासन ने लगभग हर शिवपुरीवासी की आंखों में खटकने वाले प्रतिष्ठित व्यवसायी शिवपुरी सिनेमा वालों के अतिक्रमण को हटाया। उस समय जश्न का नजारा था और पक्की दुकानों को तोडऩे वाली हिटैची को वहां मौजूद लोगों ने माला तक पहनाकर अपने आल्हाद को अभिव्यक्त कर दिया था।
लेकिन इस विध्वंस के बाद वहां सर्जन नही हुआ और बीच चौराहे पर लगा है एक गंदगी का ढेर। जिसने पूरे माधव चौक की शोभा को बिगाड़ दिया है।
ठंडी सडक़ पर स्टॉल हटाकर रोज कुआं खोद रोज पानी पीने वाले लोगों को बेरोजगार कर दिया गया इसे भी सहन कर लिया जाता यदि उस स्थान का सार्थक उपयोग होता, लेकिन आज स्थिति पहले से भी बदतर है। एक ओर तो यहां जमे स्टॉलों को हटाया गया वहीं दूसरी ओर नगर पालिका ने स्वयं अतिक्रमण कर सुलभ कांपलेक्स बनाकर न्याय के सिद्धांतों की खुली अवहेलना की है।
इसलिए अभी तक चले सारे अतिक्रमण विरोधी अभियान लोगों को सताने, परेशान करने उन्हें दहशत में डालने तथा बेरोजगार करने तक सीमित रहे हैं, जिनका कोई सार्थक उपयोग कतई नहीं हो पाया।
कोर्ट रोड़ को पुराने नक्शे के आधार पर 44 फुट चौड़ा करने का लक्ष्य है और सोच यह है कि इतनी चौड़ी सड़क से माधव चौक से अस्पताल चौराहे का नजारा नग्न आंखों से देखा जा सकता है। इससे शहर का यातायात व्यवस्थित होगा। सिंधिया राजवंश की ग्रीष्मकालीन राजधानी अपने पुराने गौरव को प्राप्त कर सुन्दर और रमणीय बनेगी। लेकिन यह सकारात्मक लक्ष्य तब पूर्ण होगा जब विध्वंस के बाद साथ-साथ ही निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू हो।
कोर्ट रोड जिसे 44 फुट करने की प्रशासन ने ठान ली है। अगर ऐसा होता है तो तत्काल डिवायडर बनाना होगा। यातायात के हिसाब से रैलिंग होनी चाहिए तभी यह सार्थक होगा।
ठंडी सडक़ पर जो नाले के किनारे अतिक्रमण शासन ने तोड है। उस बाकी बची जगह पर शानदार सडक डाली जाए जिससे छोटा ट्रेफिक चल सके। ताकि पैदल और दुपहिया वाहन से चलने वाले लोग इस सडक़ का उपयोग कर सकें।
जहां भी अतिक्रमण तोड कर सड़को का चौडीकरण किया जा रहा है वह तत्काल नवनिर्माण होना आवश्यक है। नही तो यह मुहिम सार्थक नही हो सकती। शहर अभी से ज्यादा कुरूप दिखने लगेगा।