
पीडीएस के काले कांड का समाचार प्रकाशन के बाद वैसे तो कोलारस नगर में हडक़ंप मच गया था पंरतु जब यह मामला फूड स्पेक्टर रूपेश प्रताप के पास पहुॅचा तो पहले तो मामले की गंभीरता को देख कर रूपेश प्रताप ने कार्यवाही के निदेश दे दिए।
इस वीडियो में स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि कोलारस नगर के वार्ड क्रमांक 5 की शासकीय उचित मुल्य की दुकान पर से मिट्टी के तेल की कालाबाजारी की जा रही है। और एक नगर की अन्य कंट्रोल से टैंपू से गेंहू लादा जा रहा था।
इस मामले में कोलारस के फूड इस्पेक्टर से इस मामले में क्या कार्यवाही की गई तो उन्होने स्पष्ट रूप से कहा कि यह वीडियो फर्जी है। पता नही साहब इस वीडियो को 4 दिन में किस लैब से टेस्ट करा कर फर्जी घोषित कर दिया।
पूछा गया कि फर्जी कैसे है तो उन्होने ऐसे तर्क दिए उन तर्को को सुनकर लगा कि यह इस कालाबाजारी कांड के सरगना के पर्सनल पीआरओ हो, साहब ने कहा इस वीडियो में जो कटटीयों में मिट्टी का तेल भरता हुआ दिख रहा है जेसा कि आप कह रहे हो वह मिट्टी का तेल नही पानी भर कर ले जा रहे थे।
अब आप ही बताओ पानी इतना मंहगा तो नही हुआ कि सरकार अब कंट्रोल से पानी बंटवाए। दूसरा गेहूं जो टैंपू से भर कालाबाजारी की जा रही थी। उसमे श्री साहेब का कहना था वह गेंहू पीडीएस का नही बल्कि घर का गेहूं था।
साहब का कौन समझाए की घर का गेंहू कंट्रोल पर कैसे पहुच सकता है कंट्रोल का गेहू घर अवश्य जाता है।
कोलारस में पीडीएस सिस्टम में कितना खतरनाक भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिस अधिकारी को इस मामले को जांच करना था दोषीयो को सजा देना था वह उनके काले कारनामो पर पर्दा डाल कर तरफदारी कर रहा है।