
बीती रात्रि से ही इस विद्रोह प्रर्दशन का ताना बुना गया। बताया गया है कि जिले के सभी विकास खंडों के आठ बीआसीओ को इस रैली में भीड जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई और स्कूल चलें हम अभियान सर्वे की मीटिंग के नाम पर राज्य शिक्षा केंद्र के सभी कर्मचारियों, मध्यान्ह भोजन बनाने वाले स्वयंसेवियों, प्राइमरी स्कूलों के टीचर्स और छात्रावास अधीक्षिकाओं को शिवपुरी बुलाया गया।
जानकारी यह भी आ रही है कि जैसे ही शिवपुरी आए कर्मचारियों को यह जानकारी मिली कि मिटिंग के नाम रैली निकाली जा रही है वैसे ही कर्मचारी वापस लौट गए। केवल राज्य शिक्षा केन्द्र के बीआरसी, सीएसी, डीपीसी कार्यालय के कर्मचारी और छात्रावासों की महिला अधीक्षका ही रैली में शामिल हुई।
इस रैली को निकालने की शासन से कोई परमिशन नही ली गई और न ही किसी संगठन के बैनर के तले इस रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में वही कर्मचारी उपस्थित हुए जिन पर डीपीसी शिरोमणि दुबे सीधे-सीधे कार्यवाही कर सकते है। पुलिस ने भी इस बिना परमिशन द्वारा निकाली रैली की विडियोग्राफी करा ली है।
इस रैली के ज्ञापन को कलेक्टर की ओर से डिप्टी कलेक्टर प्रजापति ने लिया और एसपी ऑफिस में स्वयं एसपी कुर्रेशी ने लिया। खबर मिली है कि इस रैली के कार्यक्रम को डीपीसी स्वंय सुबह से ही सरस्वती विद्यापीठ में बैठकर ऑपरेट कर रहे थे।
डीपीसी के समर्थन में निकाली रैली में यह मांगे रखीं गईं
डीपीसी शिरोमणि दुबे पर दबाब की दृष्टि से आफाक अहमद की झूठी कहानी को ढाल बनाकर नेतागिरी की जा रही है। और इसमे वही शिक्षक और अध्यापक शामिल है जो काम नही करना चाहते है। डीपीसी के वार्ड भ्रमण के दौरान शिक्षक अफाक अहमद ने जो अभद्रता की थी उस पर जांच तत्काल हो और कार्यवाही की जाऐ
श्री आफाक अहमद के विरूद्ध मर्डर का केस मान न्यायालय में विचाराधीन होने के बाबजूद उसका इन षडय़ंत्रकारी शिक्षकों द्वारा समर्थन का एक ईमानदार अधिकारी की छवि खराब करने की कोशिश की गई है।
जबकि आफाक अहमद निलंबित सहायक शिक्षक के विरूद्ध पुलिस प्रकरण दर्ज करवाये एवं ईमानदार अधिकारी को बदनाम करने के षडयंत्र में सम्मलित समस्त शिक्षकों एवं अध्यापकों के विरूद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्र्यवाही करने के साथ-साथ इनके द्वारा तथ्यहीन आधारों पर दिया गया ज्ञापन निरस्त करने एवं आफाक अहमद एवं उनकी पत्नि द्वारा देहात थाने में की गई झूठी शिकायत निरस्त करने की मांग की है।