
उक्त उदगार स्व. डॉ. चन्द्रपाल सिंह सिकरवार की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित समारोह में मु य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एचपी जैन ने कर्मचारी भवन में आयोजित श्रृद्धांजलि सभा में व्यक्त किए। इस अवसर पर अमृत वाणी का पाठ कर उनकी आत्मा की शांति की कामना की गई।
वहीं इसके पश्चात उनकी मानवीय भावना के अनुरूप माधव चौक स्थित हनुमान मंदिर पर गरीबों को भोजन कराकर उन्हें भावभीनी श्रृद्धांजलि अर्पित की। समारोह में डॉ. सिकरवार सर के अनुयायियों और शिष्यों के अलावा मु य रूप से पोहरी विधायक प्रहलाद भारती, मधुसूदन चौबे सर, एसएस द्विवेदी सर, जगदीश निगोती, प्रो. एपी गुप्ता, डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, प्रो. डीके जैन, सौरभ गौड़, हरगोविन्द पाराशर, श्री रंगढ़ सहित अनेक लोग मौजूद थे।
प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर मुख्य बात यह रही कि कार्यक्रम के आयोजक उनके शिष्यों ने पुण्यतिथि का कार्यक्रम ठीक निर्र्धारित समय सुबह 8 बजे से शुरू किया। डॉ. सिकरवार की पहचान समय के पाबंद इंसान के रूप में रही है। कर्मचारी भवन में ठीक समय पर अमृतवाणी पाठ प्रारंभ कर दिया गया और 30 मिनिट के बाद उसी स्थल पर श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
जिसमें उपस्थित लोगों ने सर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें अपनी आदरांजलि अर्पित की। इसके बाद मु य वक्ता के रूप में डॉ. एचपी जैन ने डॉ. चन्द्रपाल सिंह सिकरवार के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कहा कि उनकी बौद्धिक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं था। खासबात यह है कि उन्होंने अपने अंग्रेजी और सामान्य ज्ञान का प्रकाश नि:शुल्क रूप से विद्यार्थियों को दिया।
साहित्यिक क्षेत्र में उनके योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता। उन्होंने अपने जीवनकाल में हिन्दी में 20 और अंग्रेजी में दो पुस्तकें लिखी है। साहित्य की हर विधा चाहे वह गद्य हो, पद्य हो या कहानी में उनकी लेखनी बखूबी चली है। वौद्धिकता में प्रवीण होने के बाद भी उन्होंने अपनी हार्दिकता में कोई कमी नहीं आने दी।
यही कारण है कि आज उनकी याद कर मन और आत्मा में मिठास भर आती है। कार्यक्रम का संचालन दिग्विजय सिंह सिकरवार ने किया। श्रद्धांजलि सभा के बाद स्व. चन्द्रपाल सिंह सिकरवार की स्मृति में माधव चौक स्थित हनुमान मंदिर पर गरीबों को नि:शुल्क भोजन कराया गया।