एनजीटी आदेश के बाद भी ना तो तालाब साफ हुए, ना नालों का अतिक्रमण हटा

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शिवपुरी। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश के बाद भी आज तक न तो प्रशासन और नगर पालिका ने न तो शहर के तालाबों की सफाई कराई और न ही नालों के आसपास अतिक्रमण को हटाया गया। 

उक्त बात राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भोपाल (एनजीटी) में याचिका लगाने वाले विधि छात्र अभय कुमार जैन ने आज अपने निवास स्थान पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही। याचिकाकर्ता ने कहा कि अब वह निर्णय के क्रियान्वयन हेतु जुलाई में पुन: एनजीटी में याचिका दायर करेगा। 

पत्रकार वार्ता में  20 वर्षीय छात्र अभय जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने 15 दिस बर 2015 को एनजीटी में शिवपुरी के तालाबों के संरक्षण हेतु याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि शिवपुरी में तालाबों का संरक्षण नहीं हो रहा और तालाब किनारे निर्माण कार्य हो रहे हैं। 

जिसके फल स्वरूप शहर में पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है और 1000 फिट खुदाई करने पर भी पानी नहीं मिल रहा है। नालों पर भी अतिक्रामकों का कब्जा है और प्रशासन तथा नगर पालिका वेबस बने हुए हैं। 

अपनी याचिका में श्री जैन ने कलेक्टर नगर पालिका अध्यक्ष और मु य नगर पालिका अधिकारी को पार्टी बनाया। याचिका के तारत य में एनजीटी ने निर्देश दिए कि संबंधित पक्ष तालाबों और झीलों के खसरा न बर और रकवा की जानकारी दें। 

लेकिन प्रशासन ने उक्त आदेश का अंशत: ही पालन किया। तालाबों के खसरा न बर तो प्रस्तुत किए, लेकिन उनके रकवे से एनजीटी को अवगत नहीं कराया। जिस पर पीएचई के कार्यपालन यंत्री श्री जैन को ट्रिब्यूनल की नाराजी का सामाना करना पड़ा इसके बाद एनजीटी ने निर्णय लिया कि तालाबों को गंदा करनेे वालों पर पांच हजार रूपए जुर्माना जिला प्रशासन आरोपित करे और उसी से तालाबों की सफाइ्र कराई जाए। 

तालाबों के आसपास निर्माण कार्य टाऊन एण्ड कन्ट्री प्लानिंग की एनओसी के बाद करने की अनुमति दी जाए। तालाबों और नालों की सफाई के साथ-साथ वहां के अतिक्रमणों को भी हटाया जाए तथा एमपीपीसीबी तालाबों के संरक्षण कार्य मॉनिटरिंग करे। श्री जैन के अनुसार 29 मार्च को पारित इस आदेश का आज तक क्रियान्वयन नहीं हुआ जिससे तालाबों के संरक्षण का कार्य आदेश के बाद भी रूका हुआ।
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