कहां अटकी हुई है भाजपा जिलाध्यक्ष की टीम

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सतेन्द्र उपाध्याय/शिवपुरी। भाजपा के लगातार दूसरी बार जिलाध्यक्ष बनने वाले सुशील रघुवंशी अपनी दूसरी पारी में भी अभी तक अपनी जिला कार्यकाारिणी घोषित नही कर पाए है। उन्है अपना दूसरा पदभार संभालें हुए 6 माह से भी अधिक हो गया है। 

यह पढिए कैसी करनी है कार्यकारिणी घोषित 
संगठन में जिला स्तर पर तीन महामंत्री, 8 उपाध्यक्ष, 8 जिला मंत्री, एक मीडिया प्रभारी, एक कार्यालय मंत्री की नियुक्ति होती है। इनके साथ कार्यकारिणी सदस्य, विशेष आमंत्रित सदस्य, स्थाई आमंत्रित सदस्य बनाए जाने हैं। इनमें से महा महामंत्री, उपाध्यक्ष, बनने के लिए नेताओं में खींचतान ज्यादा हैं। 7 पद महिला नेत्रियों और 2 पद एससी के लिए आरक्षित हैं।

गुटबाजी है एक कारण 
बताया जा रहा है कि शिवपुरी जिले की राजनीति में शिवपुरी की विधायक  और मप्र की कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया,भारत सरकार के कैबीनेट मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर,ओर भाजपा को कमाडं देने वाला संघ ओर प्रभात झा पूर्व जिलाध्यक्ष रणवीर सिंह और वर्तमान विधायको ने अपने नाम दे रखे है। 

चूकि कार्यकाारिणी में दो दर्जन पदधिकारी बनना तय है और नाम आ गए है एक सैकडा इसमें से किसका नाम हटाए और किसको रखें यह समस्या आ रही है और इसी समस्या को नाम दे रखा सामंजस्य। बताया जा रहा कि राय शुमारी जारी है। समन्वय बनाने का प्रयास किया जा रहा है। 

कोलारस विधान सभा हो सकती है एक कारण 
कहा ओर जाता है जिस विधानसभा से अध्यक्ष होता है वह उस विधान सभा का विधायक के टिकिट का दावेदार होता है। इस बार कोलारस विधान सभा से भाजपा की शानदार हार की कहानी बताने की आवश्कता नही है। इस स्थिती में कही कोलारस विधान सभा तो कार्यकारिणी बनाने में धर्म संकट पैदा कर रही है। 

जानकारो को कहना है कि सुशील रघुवंशी कोलारस से अपने पसदींदा व्यक्तियो को पद देना चाहते है और उनके नाम की एनओसी यहां के राजनीति क्षत्रपो नही दी है। इस स्थिती में रघुवंशी अपनी जमीनी ताकत को भी कम नही करना चाहते है और अपने राजनीतिक आकाओ को भी नाराज नही करना चाहते क्यो कि टिकिट उन्ही की एनओसी से फायनल होगा। और कोलारस में वह अपना अपने से विरोध भी नही चाहते होगें अगर टिकिट मिल गया तो अपनो का विरोध भारी पड सकता है। 

मैनेजमैंट नेता भी बन रहे है कारण 
इस कार्यकारिणी में पद की दौड में वे नेता भी है जो पदो के वास्तविक हकदार है पार्टी का काम करते है। इस पद की इस दौड वे नेता भी शामिल है जिन्है मैनेजमैंट नेता कह सकते है उन्है पार्टी की गतिविधियों और पार्टी की गाइड लाईन से कोई मतलब नही है। केवल अपने आकाओं को जी हजूरी में लगे रहना है और पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओ की चुगली करना है। इस टाईप के भाजपा नेता भी इस कार्यकाारिणी को घोषित करवाने में लेटलतीफी का कारण हो सकता है।  

इन नेताओ की टांग खिचाई भी एक कारण 
जिला महामंत्री पद के लिए जगराम यादव,ओमीगुरु, अशोक खंडेलवाल,जितेन्द्र जैन गोटु के नाम शामिल है। जबकि आरक्षित कोटे से पूर्व विधायक ओमप्रकाश खटीक के बेटे राजकुमार खटीक और पूर्व विधायक रमेश खटीक के नाम की चर्चा है।

इसी तरह उपाध्यक्ष पद के लिए महिला कोटे से नवप्रभा पडरिया,मंजुला जैन के नाम चर्चाओं में हैं इसी तरह अरविंद बेडर,धैर्यवर्धन शर्मा,अनुराग अष्ठाना,रामस्वरुप रिझारी,ओमी जैन के नाम की चर्चा है। 

कुल मिलाकर कार्यकारिणी तो घोषित होगी। देखना यह है कि किस भाजपाई को कौनसा पद मिलता है। मैनेजमैंट नेताओ को कितना वजन मिलता है और कोलारस से क्या स्थिती बनती है।
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