एसपी की सूझबूझ से सुलझा पालू हत्याकांड

शिवपुरी। यह मामला पुलिस की सूझबूझ और संवेदनशीलता का प्रमाण है। यदि शिवपुरी एसपी मों यूसुफ कुर्रेशी चौकन्ना ना होते तो पालू हत्याकांड में कई निर्दोष जेल की सलाखों के पीछे होते परंतु श्री कुर्रेशी ने इस मामले की तह तक गए। इसमें काफी समय भी खर्च हुआ और पुलिस संदेह के दायरे में भी आई, लेकिन श्री कुर्रेशी अंतत: वो चौंकाने वाला सच बाहर निकाल ही लाए जिसकी उम्मीद आम जनता अक्सर पुलिस से किया करती है। 

मामला इंदार थाना क्षेत्र में हुए पालू हत्याकांड का है। 2 फरवरी को क्षेत्र के ग्राम दौलतपुर में यादव परिवारों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। इस घटनाक्रम के बाद गांव के नाले में पालू यादव की लाश मिली। मृत युवक खूनी संघर्ष वाले 2 पक्षों में से ही था। अत: स्वभाविक था कि पालू की हत्या का संदेह विरोधी पक्ष पर जाना था। 

इंदौर थाना पुलिस भी इसी दिशा में आगे बढ़ी परंतु विरोधी पक्ष ने इस हत्याकांड में अपना हाथ होने का तीव्र विरोध किया। मामला एसपी शिवपुरी के संज्ञान में पहुंचा तो उन्होंने मामले के एक एक बिन्दु पर गौर करने के आदेश दिए। स्पेशल आॅफीसर्स लगाए गए और मुखबिर नेटवर्क सक्रिय किया गया। एसपी श्री कुर्रेशी ने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस केस की मॉनीटरिंग की। 

तार से तार जोड़ते हुए पुलिस के सामने जो कहानी आई वो चौंकाने वाली थी। युवक पालू की हत्या विरोधियों ने नहीं बल्कि उसके अपने जीजा वीरसिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर की थी। वीर सिंह जानता था कि पालू की लाश मिलने के बाद पुलिस विरोधियों को नहीं छोड़ेगी। इसीलिए उसने हत्याकांड रच डाला। इस हत्याकांड में करीब एक दर्जन साथियों ने वीरसिंह का साथ दिया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार का जेल भेज दिया है। 

कुल मिलाकर पुलिस की सक्रियता के कारण पालू हत्याकांड में कई निर्दोष फंसने से बच गए। आम जनता पुलिस से हर मामले में इसी तरह की तफ्तीश की उम्मीद करती है। निश्चित रूप से इस पड़ताल के लिए इस प्रकरण की जांच में शामिल सभी पुलिसकर्मी बधाई के पात्र हैं।