
विवाह से पूर्व जहां परमात्मा से अनुमति के लिए प्रार्थना की गई, वहीं प्रार्थना के बाद दूल्हा व दुल्हन को रक्षा सूत्र बांधे गए। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन के साथ हॉल में मौजूद सभी लोग हाथ जोड़कर एक सुर में रमेणी (गुरुवाणी) के दौरान चौपाइयां दोहराते हुए नजर आए। रमेणी के साथ ही यह विवाह संपन्न हो गया। शादी में दोनों पक्षों के तमाम रिश्तेदार तो शामिल हुए ही, वहीं कबीर पंथ को मानने वाले कई भक्त दूर-दूर से आए हुए थे। सभी संत रामपाल महाराज के अनुयायी हैं।