क्या उद्योग मंत्री शिक्षा माफिया की हिस्सेदार हैं: एड.पीयूष शर्मा

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शिवपुरी। क्या प्रदेश की उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सधिया शिक्षा माफियाओं की हिस्सेदारी है? क्या उद्योग मंत्री का आन्दोलनकारी पालक संघ को यह सख्त हिदायत कि पैसे नहीं है तो सरकारी स्कूल में बच्चों का दाखिला कराओ, यह प्रदेश सरकार की निरंकुशता का ज्वलंत उदाहरण है।

एक जनप्रतिनिधि के रूप में जनता के साथ प्रदेश की उद्योग मंत्री का यह व्यवहार जायज नहीं है जनता को चाहिए कि वह इसका सबक आने वाले चुनावों में दिखाऐं और हम राज्य में गिरता शिक्षा का स्तर, बढ़ती महंगाई का बोझा एवं बच्चों के बस्तों का भार कम करना चाहते है।

इसलिए आम आदमी पार्टी की ओर से विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया डब्लयू पी.क्रं.2900/2016 पी.आई.एल. जनहित में दाखिल की गई है हमें पूर्ण विश्वास है कि माननीय न्यायालय इस मामले में जनहित में फैसला देकर एनसीईआरटी पुस्तकों की अनिवार्यता और ई-कॉमर्स शिक्षा पर ध्यान देकर राहत प्रदान करेंगें। 

उक्त बात कही आम आदमी पार्टी के जिला संयोजक एड.पीयूष शर्मा ने जो स्थानीय होटल हैप्पीनेस में आयोजित प्रेसवार्ता के माध्यम से निजी विद्यालयों की मनमानी के विरोध में और सभी विद्यालयों चाहे वह आईसीएसई हो या सीबीएसई ऐसे सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी पुस्तकें अनिवार्य की जाए को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका के संबंध में प्रेसवार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर आप पार्टी के विपिन शिवहरे, राजेश कुशवाह, अभिषेक भट्ट, सतीश खटीक आदि मौजूद रहे। 

इस तरह रोका जाए शोषण
एड.पीयूष शर्मा ने बताया कि यह याचिका निजी विद्यालयों के द्वारा अभिभावकों व बच्चों के होने वाले शोषण को रोकगी। जिसमें प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों के द्वारा निर्धारित पाठ्यपुस्तकों में शिक्षा के स्तर के व्यवस्थापन में नकारापन से पीडि़त होकर यह याचिका प्रस्तुत की गई है। याचिका में निजी विद्यालयों में संचालित पाठ्यक्रम को ना चलाया जाए, उनके स्थान पर एनसीईआरटी एवं एससीईआरटी की पुस्तकें ही चलाई जावे।

निजी विद्यालयों के प्रकाशकों द्वारा चलाई जा रही किताबों पर स्टेट ऑथारिटी का कोई नियमात्मक नियंत्रण नहीं है जैसा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 29 के अनुसार रेस्पोडेन्ट क्रं.3 एससीईआरट का विधिक दायित्व है कि क्या ये किताबों में छपी सामग्री एससीईआरटी के बताए गए मापदण्डों पर खरी है । 

इसके अलावा निजी स्कूलों की किताबें घटिया व स्तरहीन होने पर उसे ठीक करने या उसका पता लगाने का कोई नियामक ढांचा नहीं है। श्री शर्मा ने बताया कि निजी विद्यालयों आपसी प्रतिस्पर्धा में कठिन से कठिनतम पाठ्य पुस्तकें चलाकर बच्चों की उम्र एवं स्तर की तुलना में कहीं अधिक कठिन कोर्स पढ़ाया जा रहा है जिसे अविलंब रोका जाना चाहिए। 

इस स्थान पर आरटीई एक्ट की धारा 29 कहती है कि प्राथमिक कक्षाओं का सिलेबस बच्चों को सीखने की क्षमता के अनुसार ही होना चाहिए और यह इस कानून के तहत बनी शैक्षणिक अधिकारिता के द्वारा स्वीकृत होना चाहिए। इसके साथ ही निजी विद्यालयों में आर.टी.ई.एक्ट 2009 का भी पालन नहीं किया जा रहा है जिससे कई बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित है। 

इस आधार पर आप पार्टी मांग करती है कि निजी विद्यालय संचालक और प्रकाशकों को अच्छी क्वालिटी की एजुकेशन देने हेतु बाध्य किया जाए और मनमानी करने की दशा में उन्हें हतोत्साहित व दण्डित किया जावे। सरकार को इस मामले में स त कदम उठाने चाहिए जेसा कि आरटीई की धारा 29 में निहित किया गया है नियंत्रण करने हेतु अधिकारिता को अस्तित्व में लाया जाकर हमारी पीड़ा का उपचार प्रदेश एवं केन्द्र सरकार से कराया जावे। 
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