कूड़ा कूड़ा हुआ शहर, अस्पताल में बदबू से मरीज बेहाल

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शिवपुरी। पिछले दिनो से सफाई कर्मी हडताल पर है शहर पर सफाई का संकट गहरा गया है। मप्र का अस्पताल भी हड़ताल से अछुता नही रहा है। इस समय अस्पताल में सफाई न होने के कारण मरीज स्वस्थय की जगह और बीमार हो रहे है। 

मप्र 1 अस्पताल का तमगा हांसिल करने वाला जिला अस्पताल इस समय भयंकर गंदगी की चपेट में है। वार्डों में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं और नालियां चौक होकर पूरे इलाके में दुर्गंध फैला रही है। यह स्थिति इसलिए हैं क्योंकि नगरपालिका के सफाई कर्मियों की हड़ताल से सहमति व्यक्त करते हुए जिला अस्पताल के सफाई कर्मियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी हैं। 

महज तीन दिन में अस्पताल नरक के रूप में तब्दील हो गया है और यहां भर्ती मरीज स्वस्थ होने के स्थान पर और अधिक बीमार हो रहे हैं। अस्पताल में गंदगी के कारण संक्रामक बीमारी फैलने की अंदेशा हो गया है और डॉक्टर भी यहां मरीजों को भर्ती न करने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी अस्पताल प्रशासन बेखबर हैं और अस्पताल में सफाई व्यवस्था कैसे बहाल की जाए  इसकी ओर उनका कोई ध्यान नहीं है। 

अस्पताल में घुसते ही गंदगी के जगह-जगह ढेर दिखने शुरू हो जाते हैं। जिन पर मक्खियों का कब्जा है। वार्डों में पलंगों के नीचे गंदगी होने से मच्छरों की भरमार है। गंदगी के कारण बदबू इतनी है कि वार्डों में भर्ती मरीज छुट्टी कराकर घरों के लिए जाने को विवश हो रहे हैं। 

मेडीकल वार्ड की स्थिति पर गौर किया जाए तो वहां लगे वाटर कूलर के पास इतनी गंदगी है कि कोई भी वहां पानी पीने की हि मत नहीं जुटा पा रहा है। ऐसी स्थिति में अस्पताल में पानी पीने के लिए भी लोग तरस रहे हैं। 


इतना ही नहीं स्टाफ नर्सेस रूम के सामने सफाई न होने के कारण कींचड़ जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। गंदगी के कारण वार्डो में मरीज भर्ती होने से कतरा रहे हैं। गंदगी के कारण मरीजों का बुरा हाल है और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इस स्थिति से वह कैसे निजात पायें। 

सफाई न होने से मेडीकल वार्ड के बाहर जमा हुए कचरे में सूअरों की धमाचक 
अस्पताल में प्रवेश से ही गंदगी शुरू हो जाती है। जैसे ही अस्पताल परिसर से मेडीकल वार्ड में प्रवेश किये जाने से पूर्व ही वहां घूरा नजर आने लगता है। जिस पर सूअर धमाचक करते हुए देखे जा सकते हैं। 

वहीं गंदगी के कारण बदबू से लोगों का बुराहाल बना हुआ है। कई लोग अपने मरीजों से जिला अस्पताल से निकालकर निजी अस्पतालों की ओर रूख कर रहे हैं। 

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