फॉरेस्टगार्ड की फिर मारपीट, अधिकारियों को नही है चिंता

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शिवपुरी। इसे वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की अलाली ही कहेंगे कि वह अपनी हठधर्मिता का शिकार अपने ही अधीनस्थ वनकर्मचारियों को बना रहे है यह इसलिए क्योंकि ग्वालियर में अवैध रूप से रेत का कारोबार रोकने के लिए वनकर्मी नरेन्द्र की हत्या टे्रक्टर चालक द्वारा कर दी गई। 

इसके बाद शिवपुरी जिले में भी कई जगह वनकर्मियों ने अवैध रेत परिवहनकर्ताओं को रोका तो उनके साथ मारपीट भी हुई। कुछ दिनों पहले की बात है जब करैरा क्षेत्र में रात के अंधेरे में वनकर्मियों ने खनन माफिया को रोकने का प्रयास किया और यहां गोली-बारी तक हो गई। हर बार की तरह वन विभाग ने पुलिस में शिकायत कर दी और अपने विभागीय कार्यवाही करते हुए जांच में ले लिया। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार वनरक्षक शिखरचंद जैन पुत्र श्रीचंद जैन निवासी लुधावली आज सुबह 7 बजे वह अपनी मोटरसाइकिल से जमोनिया वीट में गश्त के लिए गया था जहां सुनमान गुर्जर के दो पुत्र रामवरण और पंजाब गुर्जर तीन आदिवासियों के साथ हाथ में बंदूक और लट्ठ लेकर खड़े थे। 

जैसे ही वनरक्षक वहां से गुजरा तो इन बदमाशों ने श्री जैन को रोक लिया। बकौल वनरक्षक, मैने जब बदमाशों को पहचान लिया तो उन्होंने मुझ पर जानलेवा हमला बोल दिया। श्री जैन ने बताया कि 4 फरवरी 2014 को मेरे द्वारा सुनमान गुर्जर के ट्रेक्टर को अवैध रूप से पत्थर का परिवहन करते हुए पकड़ा  था। 

जिस पर राजसात की कार्यवाही की गई थी। इसी कार्यवाही से ट्रेक्टर मालिक खफा था और इसी के चलते मुझ पर यह जानलेवा हमला बोला है। घटना के बाद  बदमाश वनरक्षक को जंगल में मरणासन्न स्थिति में छोड़कर भाग गये।

सुरक्षित नहीं है वनकर्मी 
बाबजूद इसके आज भी वनकर्मी सुरक्षित नहीं है। ताजा उदाहरण में एक वन रक्षक के साथ आरोपियों ने इतनी मारपीट कर दी कि उसकी जान पर बन आई और उसे गंभीर हालत में ग्वालियर रैफर किया गया। यहां जमोनिया बीट पर पदस्थ वनरक्षक शिखरचंद जैन ने दो वर्ष पूर्व खनन माफिया का एक टे्रक्टर पकड़ा था जिसका बदला उसे अपनी जान जोखिम में डालकर चुकाना पड़ा। 

जिसके चलते 1 अप्रैल के दिन जब वन रक्षक शिखरचंद जैन अपनी ड्यूटी कर रहा था कि तभी उस पर पूर्व के टे्रक्टर पकडऩे वाले आरोपियों ने जानलेवा हमला बोल दिया और उसे बुरी तरह मारा पीटा। हालात यह बने कि गंभीर अवस्था में शिखरचंद जैन को उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती करना पड़ा, जब यहां भी हालत नहीं सुधरे तो वन रक्षक को गंभीर हालत में ग्वालियर रैफर किया। 

गंभीर हालातों में मीडिया से भिड़े वन अधिकारी
इसे हालातों की वजह ही कहेंगें कि मौके पर अपना कार्य कर रहे पत्रकारों से वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भिड़ गए। संंबंधित मामले को कवरेज कर रहे पत्रकार सत्येन्द्र उपाध्याय, नीरज श्रीवास्तव और केके दुबे अपने चैनल के लिए खबर बना रहे थे।

 इस दौरान सरेआम वनकर्मी शिखरचंद जैन पर हुए जानलेवा हमले को लेकर वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था एवं वनकर्मियों की सुरक्षा किस प्रकार से की जाए इस सवाल पर विभाग के एक अधिकारी एसडीओ राजौरिया भड़क गए, बजाए शालीनता के अपनी प्रतिक्रिया देते कि उससे पहले ही वह मीडिया पर ही भड़क बैठे।

 इससे यह प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं वन विभाग के अधिकारियों को अपने ही वनकर्मियों की सुरक्षा की चिंता नहीं है जिसके चलते यह हालात बने। एसी जैसे कमरों में ड्यूटी देने वाले अधिकारी यदि मैदानी स्तर पर कार्य करें तो उन्हें पता चलेगा कि वनकर्मी किन हालातों में रहकर अपने कर्तव्य निर्वहन करता है। 

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