
इस कुऐं की खुदाई करने जैसे ही ग्रामीणजन उतरे तो महज 5 दिनों में ही 15 फिट गहरे कुऐं को खोदकर उसमें पानी निकाल दिया। इससे यहां ना केवल पीने का पानी मिल रहा है बल्कि अन्य ग्रामीणजनों को भी यह कुआं पर्याप्त पानी दे रहा है।
यहां है बैराढ़ तहसील का ग्राम खरई जालिम। यहां गांव के सभी 12 हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया था। दूरदराज खेतों पर स्थित नलकूपों से ग्रामीण पानी भर रहे थे। लेकिन जब बिजली नहीं होती थी तो पानी नहीं मिल पाता था। समस्या बढ़ी तो ग्रामीण एकजुट हुए। हर घर से एक युवक आगे आया और 60 लोगों ने सिर्फ 5 दिन में गांव की पार्वती नदी के बीच 15 फीट गहरा कुआं खोद डाला। अब इस गांव से न सिर्फ पीने के लिए पानी मिल रहा हैए बल्कि मवेशियों की प्यास भी बुझ रही है।
डीजल खर्च कर मिलता था पीने का पानी
ग्राम खरई जालिम गांव के लोग पानी की परेशानी से इस हद तक आजिज आ चुके थे कि वे पहले चंदा इक्_ा कर निजी बोर मालिक के जनरेटर में डीजल डलवाकर पानी लेते थे। लेकिन यह व्यवस्था भी ज्यादा नहीं चली। खर्च लगातार बढऩे से इसे ग्रामीण जारी नहीं रख सके। इसलिए उन्होंने खुद कुआं खोदने का निर्णय लिया।
खनित बोर का वाटर लेबल गिरने से बिगड़े हालात
इन दिनों गर्मी के कारण पोहरी और बैराढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट गहराया है। पीएचई और ग्राम पंचायतों द्वारा खनन कराए बोर का वाटर लेवल उतरने से यह हालात बने हैं।
जे.एस.बघेल एसडीएम पोहरी का कहना है कि हमने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बाबत जानकारी दे दी है। सारा काम मु यालय स्तर पर होना है। फिर भी हम अपने स्तर पर इसको लेकर हम कार्ययोजना बना रहे हैं। ग्रामीणों जो काम किया वह तो सराहनीय है ही। यह एक मिसाल है।
नहीं हुई सुनवाई तो खुद ही जुट गए खुदाई में
खरईजालिम के ग्रामीणजनों का कहना है कि गांव में पानी का संकट था। हमने प्रशासन से कई बार कहा लेकिन सुनवाई नहीं हुई तों हमने खुद ही जमा होकर कुआं खोद लिया।
ग्रामीणजन भोलू रावत व राजू कुशवाह का कहना था कि ग्रामवासी हमारे ग्रामीणों ने एकत्रित होकर पानी के संकट से लड़ाई लड़ी है। हमारे यहां सारे हैंडपंप सूख गए थे इसलिए हमने 5 दिनों में ही कुआं खोद दिया।