भाजपा मे। टांग खिचाई: नही है फ्रीहैंड अध्यक्ष, 3 मंडलो की कार्यकारिणी नही हुई घोषित

शिवपुरी। जिले के भाजपा के 15 मंडलो में से शिवपुरी विधानसभा के 3 मंडलों की कार्यकारणी भाजपा की आपस में हो रही टांग खिंचाई के कारण नही हो पा रही है। सूत्र बता रहे है कि अध्यक्ष भी अभी फ्रिहैंड नही है अपनी कार्यकारिणी घोषित करने के लिए। 

भारतीय जनता पार्टी के शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के तीनों मंडलों शिवपुरी शहर, शिवपुरी ग्रामीण और खोड़ की कार्र्यकारिणी विवाद के चलते घोषित नहीं हो पा रही है। एक मंडल अध्यक्ष ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्यकारिणी इसलिए घोषित नहीं हो पा रही क्योंकि उन्हें अपने पदाधिकारियों के चयन में फ्रीहेण्ड नहीं मिल रहा है। 

वहीं दूसरी ओर भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी ने इस आरोप को गलत और वेबुनियाद बताया है। उनका कहना है कि हमने सभी मंडल अध्यक्षों को अपने पदाधिकारी चयन हेतु पूरी स्वतंत्रता दी है। 

सिर्फ हमारी प्राथमिकता यह है कि कार्यकारिणी में अच्छे और काम करने वाले कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाए। श्री रघुवंशी ने तीन मंडलों की कार्यकारिणी घोषित न होने पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि जिले की कार्यकारिणी नवरात्रि पर घोषित हो जाएगी। शिवपुरी शहर, ग्रामीण और खोड़ मंडलों की कार्यकारिणी कब घोषित होगी के सवाल पर श्री रघुवंशी का जवाब है कि वह इस बारे में तीनों मंडलों के अध्यक्षों से बातचीत करेंगे। 

शिवपुरी जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के संगठन की दृष्टि से मंडलों की सं या 15 है अर्थात प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में  तीन मंडल है। शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में शिवपुरी शहर, ग्रामीण और खोड़ मंडल, पोहरी विधानसभा क्षेत्र में पोहरी, बैराड़ और सतनवाड़ा मंडल, करैरा विधानसभा क्षेत्र में करैरा, दिनारा और नरवर मंडल, कोलारस विधानसभा क्षेत्र में कोलारस, बदरवास और रन्नौद मंडल तथा पिछोर विधानसभा क्षेत्र में पिछोर, खनियांधाना, और बामौरकला मंडल हैं। 

इनमें से शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के तीनों मंडलों को छोड़कर सभी मंडलों की कार्यकारिणी घोषित हो चुकी है। लेकिन इन तीन मंडलों की कार्यकारिणी घोषित होने में लगातार विल ब हो रहा है। 

सूत्र बताते हैं कि इसका मु य कारण यह है कि मंडल अध्यक्षों का पदाधिकारियों के चयन में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मतभेद बना हुआ है। एक मंडल अध्यक्ष ने तो यहां तक कह दिया कि यदि अपने हिसाब से हमें पदाधिकारी चयन में वरिष्ठ नेताओं से स्वतंत्रता नहीं मिली तो फिर मंडल भी वहीं चला लें।