
महंत डॉ.गिरीश जी महाराज ने कहा कि इस संसार के कल्याण के लिए भगवान अवतरित होते है वह निराकार रूप में रहकर साकार रूप में तब प्रदर्शित होते है जब भक्त मन की अंर्तकरणो से उन्हें अपने अंदर विद्यमान पाता है। संसार में पाप-पुण्य, सुख-दुख, सत्य-असत्य यह भोग है जिनके बीच संसारी मनुष्य को अपना जीवन आचरण व्यतीत करना होता है ऐसे में इन सभी के बीच हमें जीवन को सद्मार्ग और सद्गति प्रदान करने वाला मार्ग चुनना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा यह मार्ग प्रशस्त करती है कि मनुष्य कर्म,कर्म,पुण्य और मोक्ष प्राप्ति के लिए ऐसे कार्य करे जिससे वह संसार में रहकर इस देह के साकार स्वरूप का परित्याग कर प्रभु के चरणों में स्थान प्राप्त कर सके। कथा में महंत गिरिराज जी महाराज द्वारा विशेष मंत्रोच्चारण कर प्रात: मु य यजमान विजय चौधरी परिवार द्वारा पूजन कार्य कराया जाता है।