
एम.डी. मण्डी बोर्ड भोपाल के द्वारा जारी पत्रों के तारत य में नवीन मण्डी परिसर को लेकर अब जिन तीन स्थानों के प्रस्तावों पर जो कार्यवाही चल रही है वह अनिर्णय की स्थिति में आकर खड़ी होती दिखाई दे रही है।
कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया जहां विधायक पोहरी प्रहलाद भारती के फार्म हाउस ग्राम पिपरसमां के समीप कृषि विज्ञान केन्द्र के पीछे नवीन मण्डी परिसर आवंटित कराना चाहती है वहीं कृषि उपज मण्डी समिति शिवपुरी के आधे से ज्यादा संचालक पूर्व में स्वीकृत नवीन मण्डी परिसर चंदनपुरा को यथावत रखना चाहते है और मण्डी के अध्यक्ष शंकर आदिवासी के साथ-साथ ह माल प्रतिनिधि इब्राहिम कुर्रेशी व मोहर सिंह गुर्जर बड़े गांव में नवीन मण्डी परिसर की मांग कर रहे है।
कृषि उपज मण्डी समिति शिवपुरी का ऐसा दुर्भाग्य है कि जब भी इस मण्डी क्षेत्र से जुड़े हुए किसानों के शोषण को मिटाने के लिए नवीन मण्डी परिसर की कार्यवाही चलती है तो वह किन्हीं कारणों ेसे अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाती है। वर्ष 1993, 2003 और 2006 में भी नवीन मण्डी परिसर को लेकर बहुत तेजी से प्रयास हुए थे लेकिन वह भी अंतत: ठण्डे बस्ते में डाल दिए गए।
वर्ष 2014 में जब यह प्रयास कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के द्वारा शुरू किया गया तो प्रारंभ में ही इसके परिणाम तक पहुंचने की उ मीद जगने लगी थी। दो वर्ष में संपूर्ण कार्यवाही होने के बाद टेण्डर प्रक्रिया के साथ ही संबंधित फर्म को नवीन मण्डी परिसर में कार्य करने का आदेश जारी होना था, ठीक उसी वक्त यह मामला राजनैतिक विरोधाभासों की भेंट चढ़ गया और चंदनपुरा की जगह नए स्थान पर मण्डी बनाए जाने की बात नए सिरे से शुरू 10 फरवरी 2016 से शुरू हो गई।
कृषि उपज मण्डी समिति शिवपुरी से जुड़े हुए किसानों का सर्वाधिक रकवा पोहरी और शिवपुरी के किसानों का आता है जो अपनी पैदावार को बेचने के लिए कृषि मण्डी शिवपुरी में आते है लेकिन मण्डी शिवपुरी के जो व्यापारी है उनको वर्तमान परिसर संकुचित होने का पूरा लाभ मिलता है। पूर्व के प्रयासों को इन कालाबाजारियों ने कैसे विफल किया यह बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात यह है कि यशोधरा राजे सिंधिया जैसे व्यक्तित्व को भी इन लोगों ने गुमराह करके नवीन मण्डी परिसर की कार्यवाही को विराम लगवाया है।
प्रशासन पिपरसमां, रातौर, बड़ागांव, मगरौरा में नए मण्डी परिसर की तलाश करके प्रस्ताव तैयार करना चाहता है जिसमें पिपरसमां की बात की जाए तो वह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना पर आता है। कितना हास्यास्पद पहलू है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के निर्माण में यह शर्त रहती है कि 06 टन से ज्यादा भारी वाहनों की आवाजाही नहीं की जा सकती। यदि पिपरसमां का निर्णय होता है तो वाकई यह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनी की शर्तों का भी उल्लंघन माना जाएगा।
क्योंकि मण्डी के लिए वाहन 15 से 20 टन माल लेकर प्रांगण तक जाते है। फिलहाल कलेक्टर ने दिनांक 03 मार्च 2016 को एक आदेश जारी करके एडीएम के माध्यम से जो अग्रिम आधिपत्य की कार्यवाही नोईयत परिवर्तन करके की गई थी उसे निरस्त करके अपने को इस प्रशासनिक और संभावित कोर्ट कचहरी के झमेले से बचा लिया है।