अतिथि शिक्षकों की जानकारी छुपा रहा शिक्षाविभाग

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शिवपुरी। शिक्षा विभाग में पारदर्षिता एवं विभाग के कार्यो को सरल बनाने के लिये एजुकेशन पोर्टल लॉच किया गया था परंतु विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी इसके लिये कितने प्रतिबध्द हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पोर्टल पर वर्र्ष 2011 12 के बाद से अतिथि शिक्षकों की काई भी जानकारी अपडेट नहीं की गई है।

जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में हर सत्र में षिक्षकों की कमी पूरा करने के लिये अतिथि शिक्षकों की भर्ती की जाती है जिसमें भर्ती के लिये स्कूल के प्रधानाध्यापक, प्राचार्य को अधिकार दिये गये हैं परंतु यह जि मेदार लोग ही नियमों को दरकिनार कर अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों को अतिथि शिक्षकों के रूप में रख लेते हैं जिससे अर्हता रखने वाले पात्र बेरोजगारों को मौका नहीं मिल पाता तो दूसरी ओर जि मेदार दोहरी कमाई करने में लग जाते हैं। 

अतिथि षिक्षकों की भर्ती की सूची को शिक्षा विभाग सार्वजनिक भी नहीं करता है जिससे कि आम लोगों को इस बारे में जानकारी मिल सके, एजुकेशन पोर्टल की बेबसाईट पर पिछले चार वर्शों से अपडेट नहीं किया गया है। 

सूचना अधिकार में भी नहीं दी अतिथि शिक्षकों की जानकारी
यहां बताना लाजमी होगा कि शिक्षा विभाग एक ओर तो पूर्ण पारदर्षिता की बात अपने पोर्टल के माध्यम से कहता है परंतु कई जानकारी आम लोगों से भी छुपाई जाती है। सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी मांगने पर भी संकुल प्राचार्य एवं बीईओ द्वारा जानकारी आवेदक को प्रदान नहीं की जाती है।

और जब इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी को अपील की गई तो उनके द्वारा भी गोपनीयता की दुहाई देकर सूचना अधिकार की धज्जियां उडा दी जाती हैं। ऐसा ही एक मामला पोहरी के योगेन्द्र जैन का है जिसने पोहरी संकुल प्राचार्य से अतिथि शिक्षकों के संबंध में जानकारी चाही थी परंतु उसे चार माह बीत जाने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई, अब यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया है।

अतिथि शिक्षक मैनेजमेण्ट सिस्टम 2011 से नहीं अपडेट 
अतिथि षिक्षकों की व्यवस्था के लिये वाकायदा एजुकेशन पोर्टल पर मैनेजमेण्ट सिस्टम बनाया गया है परंतु विभाग के अधिकारी और कर्मचारीयों ने पिछले पॉच वर्श से इसका इस्तेमाल ही नहीं किया है पोहरी तो क्या शिवपुरी जिलेभर की कोई भी जानकारी अपडेट नहीं की गई है। 

एजुकेशन पोर्टल के माध्यम से विभाग में आदेश एवं सूचियों का आदान प्रदान ही देखने को मिल रहा है जबकि इसका पूर्ण इस्तेमाल विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है।
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