
लेकिन आखिरकार शिवपुरी बाल कल्याण समिति और यहां के बालगृह की मेहनत का परिणाम रंग लाया और सविता को लेने ललितपुर तालवेंहट से उसके माता पिता रतन बाथम और मुलिया बाथम उसे लेने शिवपुरी आ गये।
जहां बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने उक्त बालिका को उनके माता पिता के सुपुर्द कर दिया। इस अवसर पर बाल कल्याण समिति के कार्यालय में हर्ष का वातावरण देखने को मिला। जिसकी खुशियां मिष्टान वितरण कर मनाई गई।
ललितपुर जिले की तहसील तालवेंहट के ग्राम बेंदा के मजदूर रतन बाथम मजदूरी करने के लिए अपनी पत्नि और बच्चों सहित दो साल पहले ग्वालियर चले आये। उनके परिवार में उनकी पत्नि मुलिया बाई और तीन पुत्र तथा एक पुत्री सविता उर्फ संतोषी है।
श्री बाथम बताते हैं कि ग्वालियर में वह बहोड़ापुर थाना क्षेत्र में श्री तोमर के कॉलेज का निर्माण करा रहे थे। 24 जुलाई 2014 को जब वह काम कर रहे थे तो उनकी पुत्री सविता उर्फ संतोषी खेलते-खेलते कॉलेज से बाहर निकल गई और इसके बाद रास्ता भूल गई। काम से निवृत्त होने के बाद जब उन्होंने अपनी पुत्री को तलाशा तो वह कहीं नहीं मिली।
इसके बाद 26 जुलाई 2014 को उन्होंने थाने में अपनी पुत्री की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके बाद वह लगभग 6 माह तक थाने के चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। उधर दूसरी ओर उक्त बच्ची खेलते-खेलते वह काफी दूर निकल गई इसके बाद वह रोने लगी तो कुछ लोगों ने उसे पुलिस थाने पहुंचा दिया।
जहां से उसे चाईल्ड लाईन के जरिये जिला बाल कल्याण समिति के कार्यालय में ले जाया गया। बाल कल्याण समिति ने उसे शांति निकेतन आश्रम में भर्ती करा दिया लेकिन किसी ने उक्त बालिका की काउन्सलिंग नहीं की। जबकि सविता स्पष्ट रूप से अपने माता पिता और गांव का नाम बता रही थी।
शिवपुरी में जब उसे भेजा गया तो बाल कल्याण समिति ने उससे काफी विस्तार से बातचीत की। बालाश्रम ने उससे उसके माता पिता और गांव का नाम पूछकर ललितपुर एसपी को मैसेज किया तो उसके माता पिता का पता चला जहां से पुलिस ने उसे शिवपुरी भेज दिया।