
मीटर के कार्यशील होने के बावजूद लगातार एक वर्ष तक विद्युत बिल मीटर के आधार पर न दिया जाना और आंकलित खपत के आधार पर दिया जाना निश्चित रूप से सेवा में कमी का द्योतक है।
इस निष्कर्ष के साथ उपभोक्ता फोरम ने विद्युत वितरण कंपनी को आदेश दिया कि वह परिवादी रामलखन वर्मा पुत्र चिरोंजीलाल वर्मा निवासी नवाब साहब रोड शिवपुरी को प्रतिकर के रूप में दो हजार रूपये की राशि अदा करे। इसके अलावा उसे अभिभाषक शुल्क सहित प्रकरण व्यय के रूप में दो हजार रूपये भी देने होंगे।
यही नहीं विद्युत वितरण कंपनी दो माह की अवधि में आवेदक रामलखन वर्मा को जून 2014 के पश्चात आंकलित खपत के आधार पर जारी समस्त बिलों एवं जुलाई 2015 में मीटर रीडिंग के आधार पर तैयार बिलों को निरस्त कर जुलाई 2014 से मीटर रीडिंग के आधार पर नवीन संशोधित बिल जारी करे और इस अवधि में जितनी राशि उपभोक्ता ने विद्युत वितरण कंपनी में बिल के रूप में जमा कराई है उसे समायोजित करे।
दो माह की अवधि में आदेश का पालन करने में चूक होने पर विद्युत वितरण कंपनी आवेदक को दस हजार रूपये की राशि प्रतिकर के रूप में अदा करने के लिए बाध्य होगी।
आवेदक रामलखन वर्मा ने अपने परिवाद में कहा कि उसने अपने नाम से नवाब साहब रोड शिवपुरी में घरेलू विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया है जिसके बिलों की राशि का भुगतान उसके द्वारा नियमित रूप से किया जाता रहा है। उसे माह जून 2014 का बिल जुलाई 2014 में मीटर खपत 150 यूनिट का 1060 रूपये बिल भेजा गया जिसका भुगतान उसके द्वारा किया गया।
इसके बाद जुलाई 2014 से जून 2015 तक मीटर चालू रहने के बाद भी उसके पास आंकलित खपत के बिल आए जिसका भुगतान उसके द्वारा किया गया। जबकि उसने 19 अगस्त 2014 को लिखित आवेदन देकर मीटर रीडिंग के अनुसार बिल देने का आग्रह किया था, लेकिन विद्युत वितरण कंपनी ने ऐसा नहीं किया।
विद्युत वितरण कंपनी द्वारा माह जून 2014 से मई 2015 तक आंकलित खपत 150 यूनिट तथा माह जून 2015 में आंकलित खपत 105 यूनिट का बिल जारी किया गया, लेकिन जुलाई 2015 में मीटर खपत 1804 यूनिट दर्शाकर बिल प्रेषित किया गया जिसमें कुल 18114 रूपये का बिल जारी किया गया एवं उसके द्वारा पूर्व में आंकलित खपत के आधार पर जमा की गई राशि का समायोजन नहीं किया गया। इससे व्यथित होकर आवेदक रामलखन वर्मा ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली।