बच्चों की जिंदगी से खेल रहे हैं निजी स्कूल

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कोलारस। विधानसभा अंतर्गत और नगर में यूं तो दर्जनो निजी स्कूल संचालित संचालित है लेकिन सूरक्षा के लिहाज से शायद एक भी स्कूल खरा न उतरे नगर में कई ऐसे स्कूल है जहां सूरक्षा के लिए कोई पुखता ईतजाम नही बल्कि निजी स्कूल संचालको द्वारा बच्चो कि जिंदगियो से लगातार खिलबाड़ किया रहा है और प्रषासन मूक बना देख रहा है ऐसा ही लापरवाही का मामला रोज नगर के विभिन्न मार्गो पर देखने को मिलता जहां फिट स्कूली वाहनो के नाम पर ज्यादातर डग्गामार वाहन फर्राटे भरते नजर आते हैै और जरूरत से ज्यादा बच्चों को बिठाकर प्रषासन को ठेंगा दिखाया जा रहा है। 

यहां नीजी स्कूल चालको के हौसले इतने बुलंद है कि यह दिन में दो मर्तबा बार ये ओबर लोड वाहन जिम्मेदार अधिकारियो के विभागो के सामने से फर्राटे भरते हुए निकल जाते है और जिम्मेदार मूक बने देखते रहते है लगातार नगर में यह वाहन नीयमो को अपने टायरो के नीचे रोंदते नजर आ रहे है जिससे स्कूली बच्चो को लाने ले जाने बाले वाहनो में जरूरत से ज्यादा बच्चों को बिठाकर सामान कि तरह ढोया जा रहा है। 7$1 वाहन में 15 से 20 बच्चे और 20 से 25 सीटर वाहनो में दोगुने बच्चों को बिठाकर बड़े हादसे का इंतजाम नीजी स्कूल संचालको द्वारा किया जा रहा है। कुछ स्कूल तो सड़क के बिल्कुल किनारे पर ही संचालन कर हादसे को दावत दी जा जिससे लगातार बच्चों को जान का खतरा बना हुआ है।

हादसो से नहीं लिया सबक -
20 जनवरी को करैरा में ऐसे ही एक स्कूली वाहन में जरूरत से ज्यादा बच्चों को भरकर ले जाते समय वाहन पलटने से 14 वर्षीय बालक विकास गिरी कि मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए जिनका इलाज आज भी जिला अस्पताल में चल रहा है।
दूसरा मामला लगभग दो साल पहले का है जब कोलारस पब्लिक स्कूल कि बस अनियंत्रित होकर मां कैलादेबी बेयर हाउस के पास पलट गई थी जिसमें कई मासूम बच्चे घायल हो गए थे इस बस में जरूअत से ज्यादा बच्चे बिठाए गए थे। अगर समय रहते प्रषासन ने नीजी स्कूलो के खिलाफ उचित कार्यवाही की होती तो ऐसे मामलो में जनहानी कम हो सकती थी ।
रही है। इन स्कूलो में बच्चे रेस्ट होने पर बाहर खेलने रोड तक आ जाते है। जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। स्कूल कि लापरबाही और प्रषासनिक उदासीनता के चलते बच्चे बच्चों नियमबिरूध किया जा रहा है। स्कूलो का संचालन ।
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