कबाड़ घोटाले में मंडी सचिव दोषी पाए गए

शिवपुरी। कोलारस कृषि उपज मंडी में नियमों की अनदेखी कर बिना टेंडर प्रक्रिया के ही लाखों रुपए के कबाड  बेचने के मामले में सचिव सहित अन्य कर्मचारी सहायक संचालक की रिपोर्ट में दोषी पाए गए हैं। अब कार्रवाई के लिए रिपोर्ट वरिष्ठ अिधकारियों को भेजी गई है। 

कोलारस कृषि उपज मण्डी में कबाड़ बेचे जाने के मामले में मंडी के सचिव दिलासाराम पराशर एवं उनके अन्य सहयोगियों की मुश्किलें लगातार बडती जा रही हैं। 

उक्त मामले में कोलारस एसडीएम राघवेन्द्र पाण्डेय ने पहले ही अपने प्रतिवेदन में मण्डी के कर्ता धर्ताओं को पहले ही दोषी करार देते हुए कबाड़ की नीलामी की संपूर्ण प्रक्रिया को ही नियम विरुद्ध बता चुकें हैं।

इसके बाद मंडी में मार्केटिंग सोसायटी के मनोनीत सदस्य रामस्वरूप रिझारी की शिकायत पर संयुक्त संचालक कृषि उपज मंडी ग्वालियर द्वारा सहायक संचालक अनिल शर्मा के नेतृत्व में एक जांच दल गठित किया गया था।

उक्त जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कोलारस एसडीएम के प्रतिवेदन को सही मानते हुए विभिन्न पहलुओं की जांच के उपरांत मंडी सचिव और उनके अमले को इस पूरी प्रक्रिया में दोषी मानते हुए फाइनल रिपोर्ट के लिए संयुक्त संचालक को सौंप दी है। 

मंडी सचिव दिलासाराम पाराशर ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की मिलीभगत से नियमों की पूर्ति किए बिना एवं बिना टेंडर के सार्वजनिक नीलामी न करते हुए 19 जून 2015 को एक कबाड़ बाले की दुकान पर ले जाकर बेचे जाने के मामला जानकारी में आया था।

जिसमें कोलारस मंडी का लाखों रुपए की कीमत का सामान बाजार में बेचा जाना पाया गया और इस कबाड़ के बदले प्राप्त धन राशि को भी मंडी के खाते में जमा नहीं कराई गई।

परन्तु मंडी के अन्य सदस्यों द्वारा प्रेस नोट जारी करके उक्त घोटाले का विरोध करते हुए खुलासा किया तो आनन.फानन में मंडी के कर्मचारियों ने लाखों के कबाड़ के सामान के बदले मात्र 34 हजार रुपए मंडी के खाते में 21 जून को जमा करा दिए गए थे।

मंडी सचिव का यह घोटाल जांच में सिद्व हो गया है। जांच अधिकारियों ने जांच करके वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी। अब क्या विभागीय कार्यवाही उन पर होती है। हाल तो यह मामला मंडी सचिव की गले हड्डी बन गया है।