कुशवाह के बयान से खुली कांग्रेस की पोल: स्पस्ट हुआ नौटंकी है आंदोलन

0
शिवपुरी। शहर के प्यासे कंठो के लडाई के लिए कांग्रेस पिछले एक माह से धरने पर बैठी है। और उधर नपा के अध्यक्ष कह रहे है कि 12 करोड रूपए नपा के पास है और वह इसका ब्याज खा रही है, और प्रतिवर्ष 10 करोड रूपए शहर की पेयजल व्यवस्था पर खर्च नपा कर रही है।

इधर कांग्रेसी राग गा रहे है कि   यदि कैबिनेट बैठक में सिंध जलावर्धन योजना की एजेंसी दोशियान कंपनी को 6 करोड़ रूपए देने का प्रस्ताव पारित न होने से सिंध जलावर्धन योजना का काम रूका हुआ है।

इससे स्पष्ट है कि पानी को लेकर कांग्रेस का आंदोलन कहीं न कहीं राजनीति से प्रेरित हैं और इसकी पुष्टि स्वयं नगर पालिका अध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह के इस बयान से होती है जिसमें उन्होंने कहा था कि हम तो प्रदेश सरकार को देख रहे हैं।

बरना सिंध के पानी के लिए तो नगर पालिका स्वयं काम करेगी। कांग्रेस के बचाव में नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा कहते हैं कि यह सच है सिंध योजना के लिए पैसा कोई समस्या नहीं है, लेकिन जब तक राज्य शासन पेड़ काटने की अनुमति नहीं देगा तब तक नगर पालिका कैसे काम करेगी।

शिवपुरी नगरपालिका पर कांग्रेस का कब्जा है। नगर पालिका अध्यक्ष कांग्रेस के मुन्नालाल कुशवाह हैं वहीं उपाध्यक्ष भी कांग्रेस के अनिल शर्मा अन्नी है। नगर पालिका सिंध जलावर्धन योजना की एजेंसी हैं। वह और दोशियान कंपनी पब्लिक प्रायवेट फण्ड योजना अंतर्गत भागीदार के रूप में  काम कर रहे हैं। योजना में मु य रूप से दो अडंग़े नजर आते हैं।

एक तो दोशियान कंपनी को 6 करोड़ रूपए अग्रिम  भुगतान के लिए चाहिये। ताकि इस राशि से वह अपनी बैंक गारंटी बनवा सके। इस  6 करोड़ के लिए कांग्रेस ने गेंद भाजपा सरकार के पाले में डाल दी हैं। इस राशि को देने के लिए प्रदेश भाजपा सरकार ने सिद्धांतत: सहमति दे दी है, लेकिन उक्त प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में पारित होना अभी शेष है।

फिलहाल तो यह प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में आया ही नहीं है। दूसरा अडंग़ा यह है कि नेशनल पार्क क्षेत्र में पाईप लाईन डालने के लिए फॉरेस्ट की अनुमति लेना शेष हैं। हालांकि प्रशासनिक सूत्रो का कथन है कि ऐसी अलाईनमेंट बना ली गई है। जिससे एक भी पेड़ नहीं कटेगा और पाईप लाईन गिर जाएगी।

यह सत्य है तो सिर्फ 6 करोड़ रूपए अग्रिम के रूप में दोशियान कंपनी को भुगतान किया जाना ही शेष है। आईए अब नगर पालिका की हकीकत पर भी गौर कर लेते हैं। इस बार पेयजल समस्या से निपटने के लिए नगर पालिका ने शहर में 150 बोरों का उत्खनन कर लगभग दो करोड़ रूपए की राशि खर्च की। सीआई सामग्री, विद्युत सामग्री, मोटर सप्लाई आदि पर तीन करोड़ रूपए से अधिक व्यय किये गए। ग्रीष्म ऋतु में जल सप्लाई के लिए नगर पालिका ने प्रत्येक वार्ड में टेंकर लगाये और टेंकरो को 190 रूपए प्रति चक्कर के हिसाब से भुगतान किया गया।

कई वार्डों में तो टेंकर के आठ-आठ चक्कर बताकर भुगतान लिया गया। इस तरह से ग्रीष्म ऋतु में एक माह में डेढ करोड़ से दो करोड़ रूपया पानी में खर्च किये गए। नपा के पूर्व उपाध्यक्ष भानू दुबे कहते है कि इस बार तो पानी के नाम पर नगर पालिका ने 12 से 15 करोड़ रूपए खर्च किये। सिंध जलावर्धन योजना के 12 करोड़ रूपया नगर पालिका के पास बैंक में पहले से ही जमा हैं।

इस तरह से स्पष्ट है कि यदि नगर पालिका की शहर से जल समस्या से मुक्त कराने की इच्छा शक्ति होती तो 24 करोड़ रूपए में सिंध का पानी आसानी से शहर में आ जाता। ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि कांग्रेस आंदोलन क्यों कर रही है। इस आंदोलन से कांग्रेस की पानी के नाम पर राजनीति उजागर हो गई है। 
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!