जूली गर्ग/शिवपुरी। दिवाली जगमग दिपों के त्यौहार के के आलावा बिजनिस कुभं भी कहा जाता है। कई सेगमेंट की इस त्यौहार के 3 माह से पहले अपनी मार्केट की तैयारियां शुरू कर देती है। इस बाजार से आवाज आ रही है कि दिवाली है पर बिजनिस कुंभ नही।
पिछले वर्ष सर्राफ और वर्तन का व्यापार मंहगाई की मार के चलते मंदा रहा। वहीं इस बार सूखे के कारण यह व्यापार करोड़ों से घटकर लाखों में आ गया हैं। सर्राफा व्यापार पिछले वर्ष पांच से सात करोड़ का था वह इस बार 30 प्रतिशत तक होने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
बाजारों में होने वाली भीड़ से इस व्यावसाय का अंदाजा लगाया जा रहा है। दोपहर 12 बजे तक बाजार सूने दिखाई दे रहे थे, इसके बाबजूद भी व्यापारियों को आशा है कि दोपहर के बाद व्यापार कुछ चल सकता है।
यही स्थिति वर्तन व्यवसाय पर दिखाई दे रही है। पिछले वर्ष वर्तन व्यापारियों का पूरे बाजार का व्यवसाय एक करोड़ के लग ाग था। जो इस वर्ष आधा होने की स्थिति दिखाई दे रही है।
सर्राफा व्यवसाय से जुड़े नवाब सर्राफ के संचालक तेजमल सांखला का कहना है कि किसानों के साथ-साथ व्यापारियों की स्थिति बहुत दयनीय है। आज धनतेरस है। इस त्यौहार पर लोग सोना चांदी खरीदते हैं। सर्वाधिक खरीददार ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं लेकिन इस बार ग्रामीण खरीददार बाजारों में नहीं दिख रहा है। ऐसी स्थिति में बाजारों में भी सूखे मार पड़ती दिखाई दे रही है।
पिछले वर्ष यहां सात करोड़ का व्यवसाय सर्राफ बाजार में हुआ था, लेकिन दोपहर तक की स्थिति देखकर यह लगता है कि यह व्यापार सिर्फ लाखों तक समिटकर रह जाएगा। इसी व्यापार से जुड़े शिवम ज्वलर्स के संचालक मनीष सोनी औन नितिन सोनी सहित शिव आभूषण भण्डार के प्रहलाद सोनी, अनवेष कुमार सोनी भी चिंतत हैं।
उनका कहना है कि इस बार बाजार की स्थिति बहुत ही दयनीय है। हमारे द्वारा बड़ी सं या में माल का भण्डारण किया गया है। लेकिन आज की स्थिति देखते हुए हमारी चिंतायें अवश्य बढ़ गई हैं। पिछले वर्ष यहां सोना चांदी के भाव आसमान पर थे, लेकिन इस बार आभूषणों की कीमतें भी गिरी हुई है।
इसके बाबजूद भी मार्केट मंदी के दौर से गुजर रही हैं। यही स्थिति वर्तन व्यापार में देखी जा रही है। जहां बंशीधर बद्री प्रसाद अग्रवाल के संचालक धर्मेन्द्र अग्रवाल का कहना कि वर्तन व्यवसाय में इस बार भारी नुकसान व्यापारियों को उठाना पड़ेगा। पिछले वर्ष से इस वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत का नुकसान होने की संभावना दिखाई दे रही है।
पंडित वर्तन हाउस के संचालक मुकेश वशिष्ठ भी अपनी व्यथा सुनाते हुए कहते है कि जो आशाएं हमें थी वह पूर्ण होती नहीं दिख रही हैं। ऐसी स्थिति में व्यापारियों के चेहरों पर चिंता के भाव स्पष्ट देखे जा सकते हैं।