शिवपुरी। जिस प्रकार से यह मानवरूपी शरीर पांच तत्वों से मिलकर बनी है उसी प्रकार से इस मनुष्यरूपी जीवन का आनन्द हैं ध्यान, ओशो का ध्यान मनुष्य को उसके सफल जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है इसीलिए ओशो की वाणी में ज्ञान को छठवां तत्व कहा गया है।
ध्यान का धर्म से नहीं जीवन से लेना-देना है, ध्यान से मनुष्य क्रोध से बदलकर करूणा में, लोभ से बदलकर दान में, काम से बदलकर राम में, हिंसा से बदलकर अहिंसा में बदल जाता है, यदि ध्यान का प्रयोग करेंगें तो निश्चित रूप से यह मानव जीवन बदल जाएगा और इससे व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक प्रतिष्ठान का उत्थान होता है इसीलिए ध्यान को श्रेष्ठ माना गया है।
ध्यान के इस अनमोल ज्ञान को साझा किया सूरत (गुजरात) से आई प्रसिद्ध ओशो ध्यान केन्द्र संचालिका मॉं प्रेम अजस्था ने जिन्होंने स्थानीय पारस रेसीडेन्सी पर आयोजित ओशो महारास शिविर का शुभारंभ करते हुए अनौपचारिक चर्चा में ज्ञान का संदेश जन-जन को पहुंचाते हुए इस प्रतिनिधि को बताया।
इस दौरान ओशो महारास में प्रात: 6 से 7 बजे तक सक्रिय ध्यान, 9 से 10 बजे तक ओशो सत्संग, 11:30 बजे से 01 बजे तक चक्र ब्रीडिंग मेडीटेशन, सायं 4 से 5 बजे तक विभिन्न ध्यान साधनाऐं व संध्या 6 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक संध्या सत्संग किया गया।कार्यक्रम के क्रमानुसार शनिवार को प्रात: 9:30 बजे से स्थानीय मध्यदेशीय अग्रवाल धर्मशाला से ओशोप्रेमियों द्वारा नगर कीर्तन नगर में निकाला जाएगा।
ओशो साहित्य बदलेगा जीवन
लगभग 20 वर्षों से पूरे देश के कोने-कोने में ओशो वाणी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाए। इसके लिए सोलन (हिमाचल प्रदेश) से पधारे ओशो साहित्य प्रदर्शनी संचालक स्वामी ज्ञान अनुग्रह व उनकी सहयोगी मॉं प्रेम करूणा बताते हैं कि ओशो का साहित्य मनुष्य का जीवन बदल देगा।
ओशो साहित्य भी ओशो का ज्ञान है इसमें बदलते परिवेश के रूप में सीडी, पुस्तकें, ध्यान वस्त्र तथा ओशो द्वारा लिखित पुस्तकें जन सामान्य के लिए उपलब्ध रहती हैं।
स्वामी ज्ञान अनुग्रह और मॉं प्रेम करूणा के अनुसार ज्ञान ऐसा धन है जो बांटने से बंटता है और बढ़ता है यही कारण है कि जहां भी ओशो के शिविर आयेाजित होते है वहां हम ओशो साहित्य प्रदर्शनी लगाकर लोगों को ज्ञान बांटने का कार्य करते है।
इस साहित्य में ओशो द्वारा बनाई गई वैज्ञानिक कसौटियों पर खरा उतरने वाले ध्यान का वर्णन है जिसमें हम अपनी खोई हुई शक्तियों को प्राप्त कर सकते है और उसका उपयोग कर अपने जीवन को प्रेम,आनन्द, उत्साह, सुखी और सफल बना सकें।
एक सुखी व्यक्ति ही दूसरों को सुख दे सकता है वह ज्ञान इस साहित्य में समावेश है। अब तक करोड़ों का व्यापार ओशो साहित्य के द्वारा किया गया लेकिन वह धन के लिए ना होकर ध्यान के लिए किया गया।