सुदामा और कृष्ण की दोस्ती सच्ची: साध्वी शुभंकराश्रीजी

शिवपुरी। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण के बाल जीवन और युवा जीवन की कहानियां बताते हुए साध्वी शुभंकराश्रीजी ने कहा कि श्रीकृष्ण बचपन से ही चंट और चालाक थे। 

जब गोपियां उनके डर के कारण माखन को ऊंचाई पर टांग देती थीं तो वे अपने बाल सखाओं के साथ एक के ऊपर एक चढ़कर माखन निकाल लेते थे और जब गोपियां कृष्ण की मां से शिकायत करती थीं तो वे साफ मुखर जाते थे कि मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो। ऐसे बाल हठी कृष्ण लीला के लिए प्रसिद्ध है आज की जन्माष्टमी।

जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाना चाहिए। क्योंकि वही एक ऐसे भगवन हैं जिन्होंने कई ऐसी लीलाएं दिखाईं हैं जो आदमी के चरित्र को परिवर्तित करती हैं।

जब उन्होंने द्वारिकापुरी का सिंहासन संभाला तब उनके बालसखा सुदामा वृन्दावन में बहुत गरीब परिस्थिति में जी रहे थे। सुदामा की पत्नी ने सुदामा से श्रीकृष्ण के पास जाकर मदद मांगने को कहा परंतु सुदामा यह सोचकर जाने में हिचकिचा रहे थे कि श्रीकृष्ण उन्हें पहचानेंगे या नहीं।

साथ ही वे श्रीकृष्ण से जाकर वे मांगेंगे कैसे? अधिक बार कहने के बाद जब सुदामा श्रीकृष्ण के पास गए तो अपने साथ मुट्ठीभर चावल लेकर गए और जब वे महल के द्वार पर पहुंचे तो द्वारपालों से अपना नाम बताकर श्रीकृष्ण से मिलने की इच्छा जाहिर की। 

द्वारपालों ने श्रीकृष्ण को जाकर बताया कि कोई सुदामा नाम का व्यक्ति उनसे मिलना चाहता है जो मैली सी फटी धोती पहने हुए है और आपको अपना मित्र बताता है। सुदामा का नाम सुनते ही श्रीकृष्ण दौड़कर द्वार पर आ गए और सुदामा को गले से लगा लिया और जब सुदामा ने अपने साथ लाये हुए चावल श्रीकृष्ण को दिये तो वे वहीं खड़ेे होकर उन कच्चे चावलों को स्वादपूर्वक खाने लगे।

इस तरह की दोस्ती का चरित्र प्रमाण श्रीकृष्ण ने दिया। ऐसे ही कई वाक्या हैं जब श्रीकृष्ण द्वारा अपने भक्तों पर कृपा बरसाई जाती है। आज जन्माष्टमी पर विशेष रूप से द्वारिकापुरी सजती है और वहां आज जन्माष्टमी मनाई जाती है अगले दिन वृन्दावन में उनका जन्मोत्सव मनता है। 

वृन्दावन में तो आज भी मटकी टांगकर उतारने की प्रतियोगिता होती है और जो व्यक्ति मटकी उतारता है उसको रथ में बैठाकर गाजे बाजे के साथ जुलूस निकाला जाता है। इन्हीं कहानियों में द्रोपती के चीर हरण के वक्त श्रीकृष्ण द्वारा भाई का फर्ज अदा करते हुए जो लाज बचाई उसे भी कोई इतिहास के पन्नों पर भाई बहन के रूप में आज भी याद किया जाता है। 

बाल कृष्ण बनकर बच्चे करेंगे आज रास
श्वेता बर जैन मंदिर पर चल रहे कार्यक्रमों में आज जन्माष्टमी मनाई जाएगी जिसमें समाज के सभी बच्चे बालकृष्ण बनकर हिस्सा लेंगे। बच्चों द्वारा मटकी से प्रसाद निकालकर वितरण किया जाएगा। प्रात: 9.15 बजे से शुरू होने वाला यह कार्यक्रम 11 बजे तक चलेगा जिसमें सुदामा और श्रीकृष्ण का नाट्य मंचन भी किया जाएगा।