नपा में अंधेरगर्दी, विकास कार्य छोड़ ठेकेदार को सपोर्ट करने में जुटे पार्षद

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शिवपुरी। नगर पालिका परिषद में चुने गए पार्षदों की जि मेदारी अपने वार्ड की समस्याओं के निदान की होती हैं। ताकि वार्डों में पेयजल समस्या न हो, ठीक से स्ट्रीट लाईट जलें, सड़कें और नालियों का विकास हो तथा मोहल्ले में साफ सफाई का वातावरण रहें।

वहीं विभिन्न जनहितकारी योजनाओं का लाभ जैसे वृद्धावस्था पेंशन, बीपीएल कार्ड, मजदूरी की किताब आदि का लाभ पात्र हितग्राहियों को मिल सके। लेकिन वर्तमान परिषद में कांग्रेस और भाजपा के अधिकांश पार्षद अपने लक्ष्यों से भटक गए हैं। भटकें भी क्यों नहीं नगर पालिका प्रशासन पार्षदों को ललचाने में लगा हैं और अपने हित साधने में मशगूल हैं। 

पेयजल समस्या के लिए प्रत्येक पार्षद को दस-दस लाख रूपए दिये गए। इनका क्या उपयोग हुआ। यह शहर में कौन नहीं जानता। पानी के लिए जनता दर-दर भटकी और अब स्ट्रीट लाईट के लिए भी पार्षदों को ढाई-ढाई लाख रूपए देने की तैयारी चल रही हैं। यहीं नहीं लालच में अधिकांश पार्षद इस हद तक फंस चुके हैं कि वह नगर पालिका में खुलकर ठेकेदारी कर रहे हैं। 

अधिकांश महिला पार्षद अपने पतियों के इशारों पर नाच रहीं हैं और परिषद में अधिकारों के दुरूपयोग का खुला एवं नंगा नाच देखने को मिल रहा हैं। यही कारण है कि पार्षद नगर पालिका कर्मचारियों पर नियंत्रण रखने में असफल सिद्ध हो रहे हैं और नगर पालिका में अराजकता का वातावरण चल रहा हैं। 

एक जमाना था जब जनहित की भावना से और नाम कमाने की दृष्टि से समाजसेवी प्रवृति के लोग राजनीति करते थे। सांवलदास गुप्ता से लेकर लक्ष्मीनारायण शिवहरे, स्व. सोहनमल सांखला, स्व. बल्लभदास मंगल और गणेशीलाल जैन के अध्यक्षीय कार्यकाल को कौन याद नहीं करता। आज तक इन महानुभावों द्वारा कराये गए निर्माण कार्य मिसाल बने हुए हैं। पार्षद भी वार्ड  में स मान पाने की दृष्टि से  काम करते थे और शिवपुरी शहर सुन्दर, हरा-भरा औैर साफ नजर आता था। लेकिन 10-15 सालों से नगर पालिका की राजनीति में बहुत अबमूल्यन हुआ है। अधिकांश चुने गए पार्षद और अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष अपने निहित हित साधने के लिए सक्रिय रहे हैं।
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