CMHO ऑफिस में अपनी सत्ता चलाने वाले 6 कर्मचारी वापस

शिवपुरी। नियमों को खूटी पर टांग सीएमएचओ ऑफिस में वर्षो से जमे 6 कर्चचारियों की अपने मूल पदस्पना स्थल में वापसी के आदेश आज सीएमएचओ शिवपुरी ने कर दिए है। बतया गया है कि इन कर्मचारियों ने अपने परिजनो के नाम साई कंपनी के नाम से क पनी बना करोडो की सप्लाई नियम के विरूद्व कर दी।

बताया गया है कि यह कर्मचारीयों की सत्ता सीएमएचओ ऑफिस में चलती थी या यू कह लो कि शिवपुरी का स्वास्थय विभाग ही इनके हिसाब से चलता था। इन कर्मचारियों के नियम विरूद्व कार्य और मनमानी के चलते ही जिपं सदस्य योगेन्द्र रघुवंशी ने इन कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए इन्है अपनी मूल पद स्थापना में भेजने के लिए आंदोलन और भूखहडताल की धमकी दी थी।

अभी दो दिन पूर्व ही जिला योजना समिति की बैठक में प्रभारी मंत्री कुसुम महदेले के समक्ष यह मामला जिपं सदस्य योगेंद्र रघुवंशी ने उठाते हुए कहा था कि यह कर्मचारी नियम विरूद्व वर्षो से यह जमे है और गंभीर भ्रष्टाचार में लिप्त है। और इनके कारण स्वास्थय विभाग के सभी योजनाए प्रभावित हो रही है और ये कर्मचारी ईमानदारी से काम करने वाले कर्मचारियों को काम नही करने देते है।

प्रभारी मंत्री ने भी इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को डांट पिलाते हुए इन विवादास्पद कर्मचारियों को हटाने के निर्देश दिए थे। और इनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपो की जांच शुरू करवाने के आदेश भी दिए थे। इसके बाद इन्हें हटाने की कार्रवाई की गई है।

सीएमएचओ डॉ. सुरेश भदकारिया ने बताया कि 6 कर्मचारियों का संलग्नीकरण समाप्त कर उन्हें अपनी मूल पदस्थापना स्थल पर कार्य करने के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया है। जिसमें सहायक ग्रेड वर्ग.2 नंद किशोर भार्गव को महिला प्रशिक्षण केन्द्र शिवपुरी, नेत्र सहायक मृगांक ढेंगुला को चलित नेत्र इकाई जिला चिकित्सालय शिवपुरी, सूचना सहायक योगेन्द्र पाल सिंह दंडोतिया को सामु.स्वास्थ्य केन्द्र खनियांधाना, संगठक कुलदीप पाल्या को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कोलारस, फार्मासिस्ट शैलेष वर्शेकर को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सतनवाड़ा, कंपाउडर भरत शर्मा को सामुण्स्वास्थ्य केन्द्र पोहरी शामिल है।

डॉ.भदकारिया ने जिले के खंड चिकित्सा अधिकारियों को भी संलग्नीकरण के संबंध में निर्देश दिए है कि उनके अधीनस्थ संस्थाओं में कार्यरतए स्टाफ नर्स, एएनएमए एमपीडब्ल्यू तथा अन्य कर्मचारियों को भी संलग्नीकरण तत्काल प्रभाव से समाप्त करें।

स्वास्थ्य विभाग में बहुत पहले ही अटैचमेंट की प्रथा बंद की जा चुकी है लेकिन यह कर्मचारी सेटिंग के जरिए अपने हस्ताक्षर तो मूल पदस्थापना पर एक साथ कर देते थे और वेतन भी यहां से निकलता था लेकिन काम यह सीएमएचओ कार्यालय में करते थे।

जिपं सदस्य और कांग्रेस नेता योगेंद्र रघुवंशी ने आरोप लगाए थे कि सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ कुछ कर्मचारियों ने तो अपने परिजनों व मित्रों के नाम से दवा कंपनी बनाकर के सप्लाई की है।

ग्वालियर की एक फर्म सांई कंपनी के नाम से दवा भी खरीदी गई और इसी कंपनी ने कूलर, पंखे, चादर, स्टेशनरी का सामान भी दिया। एक कंपनी अलग-अलग सामान कैसे दे सकती है। समान तो समान सब्जी भाजी के बिल भी इस फर्म की सप्लाई के बिल भी ऑडिट को मिले है।