भक्तामर पाठ: उंगलियों के पहले हिस्से में होता है लक्ष्मी का वास

शिवपुरी। जैन श्वेताम्बर मंदिर पर भक्तामर संपूट अभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। आज तीसरे दिन भक्तामर की 9-10-11-12वीं गाथाओं को बोलकर 27 बार अभिषेक किया गया। चातुर्मास करने पधारी साध्वी शुभंकराश्रीजी ठाणा दो द्वारा उक्त आयोजन किया जा रहा है।

जिसमें जैन समाज के सभी  स्त्री-पुरूष एवं बच्चे भाग ले रहे है। कार्यक्रम में आज तीसरे दिन जिन गाथाओं को पढ़ा गया उनमें नवीं गाथा लक्ष्मी जी की है और सभी अभिषेक करने वाले जैन श्रावकों ने लक्ष्मीजी का अभिषेक किया है।

साध्वी शुभंकराश्रीजी ने उक्त भक्तामर अभिषेक की महिमा बताते हुए कहा कि भक्तामर की इन गाथाओं को बोलने से एवं अभिषेक करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है।

उन्होंने कहा कि जब हम सुबह सोकर उठें तो  पूर्व दिशा की ओर अपने दोनों हाथों को खोलकर जोड़ें और उनकी तरफ निहारें, क्योंकि हमारे हाथों की उंगलियों के ऊपरी हिस्से पर लक्ष्मी जी, बीच के हिस्से पर सरस्वती जी का एवं बाकी शेष भाग में अन्य सभी देवी-देवताओं का वास होता है।

इसके बाद तीन णमोकार मंत्र उच्चारण कर दोनों हाथों को आंखों सहित चेहरे पर फेरें। जब आप बिस्तर से जमीन पर पैर रखें तो देख लें कि कोई जीव-जन्तु तो आपके पैर के नीचे नहीं आ रहा, इस तरह से अपने दिन की शुरूआत करने पर आपको क ाी भी गुस्सा नहीं आएगा।

आज भक्तामर स्त्रोत के बाद लक्ष्मी जी की प्रतिमा के ऊपर सभी पूजा करने वाले श्रावक-श्राविकाओं ने जलाभिषेक किया।