संत भैरोदास जी ने किया अपनी देह का त्याग

शिवपुरी। सतनवाड़ा स्थित खेरे वाले हनुमान मंदिर के संत भैरोदास जी महाराज ने अपनी दैह का त्याग कर दिया। उनका आज पूरे स मान के साथ मंदिर परिसर में ही अंतिम संस्कार किया गया। 

इस दौरान जहां कलेक्टर राजीव दुबे सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे वही हजारों की संख्या में मंदिर के भक्त भी इसमें शामिल हुए। 

उल्लेखनीय है कि संत भैरोदास का बीते दिनो बीमारी के चलते निधन हो गया था। आज उनकी अंतिम यात्रा में हजारों भक्तगणों ने भाग लिया। 

इस अवसर पर कलेक्टर राजीवचंद दुबे, एडीएम जेडयू शेख, एसडीएम नीतू माथुर, विधायक प्रहलाद भारती, नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह, नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष राकेश जैन, राकेश गुप्ता, विजय शर्मा सहित हजारों लोग उपस्थित थे। 

पटिया वाले सरकार आश्रम से मिला था संत को जीवन
सांसारिक अवस्था में संत भैरोदास रोडवेज में कंडक्टर के पद पर पदस्थ थे और भोपाल में रहते थे हालांकि वह मुरैना के रहने वाले थे। बताया जाता है कि नौकरी के दौरान वह गंभीर रूप से बीमार हुए और डॉक्टरों ने जबाव दे दिया। 

परिवार वाले भोपाल से उन्हें मुरैना ले जा रहे थे। बताया जाता है कि मुरैना में उनकी अंतेष्टि की तैयारी हो रही थी। रास्ते में करईधाम जिसे पटिया वाले सरकार आश्रम कहा जाता है पड़ा। 

यहां के संत को दर्शन कराने के लिए भैरोदास को लाया गया तब बताया जाता है कि उनके गुरू ने उनके परिजनों से कहा कि तुम इसे यहीं छोड़ जाओ क्योंकि तु हारी नजर में तो यह मृत हो चुका है। 

परिवारवालों ने ऐसा ही किया और गुरू ने न केवल उन्हें जिंदा किया बल्कि नया जीवन भी दिया। शिवपुरी में भी वह अनेकों बार मरणासन्न अवस्था में पहुंचे और डॉक्टरों ने जबाव दे दिया लेकिन अस्पताल में एकाध दिन रुकने के बाद बाबा मेडीकल साइंस को निरूत्तर करते हुए भागकर आश्रम पहुंच जाते थे। 

संत भैरोदास को हो गया था मृत्यु का पूर्वाभास 
संत भैरोदास के भक्तगण बताते हैं कि उन्हेें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था। कल शाम साढ़े चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली, लेकिन पिछली रात को बारह बजे ही उन्होंने अपने भक्तगणों को अवगत करा दिया था कि अब उनके जाने का समय आ चुका है और अब वह किसी भी क्षण इस दुनिया को छोड़ सकते हैं। 

डॉ. जैन के अनुसार शाम साढ़े चार बजे अचानक उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और उन्हें शिवपुरी ले जाने की तैयारी चल रही थी उसी समय उन्होंने पीने के लिए पानी मांगा और सीताराम कहते हुए इस नश्वर शरीर को छोड़ दिया।