शहर की सड़कों पर उमड़ा आदिवासियों का सैलाब

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शिवपुरी। आदिवासी समुदाय के शोषण और उनके साथ हो रहे भेदभाव पूर्ण वर्ताव को लेकर सहरिया क्रांति सामाजिक संस्था द्वारा आज एक विशाल दमन विरोधी रैली का आयोजन किया गयाए जिसमें ग्रामीण अंचल से आए सहरिया आदिवासी समुदाय के हजारों की सं या में लोगों ने शिरकत की और जिला प्रशासन को मु यमंत्री के नाम 21 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा जिसे खुद कलेक्टर राजीब दुबे ने ग्रहण किया और मौके पर ही सभी मांगों पर चर्चा कर कलेक्टर ने इनको पूरा करने की घोषणा भी कर डाली। कलेक्टर श्री दुबे ने बताया कि इस रैली को मु यमंत्री शिवराज सिंह ने भी ग भीरता से लिया हैए उन्होंने कल ही सूचित कर दिया था कि इस रैली के मांग पत्र को ग भीर्रता से लिया जाए और समस्याओंं का निराकरण किया जाए। उन्होंने कहा कि दो माह में बदलाव दिखाई देगा।

शहर की सड़कों पर आज करीब दस हजार की सं या में सहरिया समुदाय का सैलाव देखते ही बना दमन विरोधी रैली में हर आयु वर्ग के सहरिया स्त्रीपुरुष शामिल थे जिनका जोश देखते ही बन रहा था। हाथों में शोषण विरोधी नारे लिखी पटिट्काऐं थामें ये सहरिया आदिवासी गगन भेदी नारे भी लगा रहे थे। रैली की खास बात यह थी कि समूचा आदिवासी समुदाय स्वअनुशासित था शहर में कतारबद्घ सहरियों का पथ संचलन किसी भी राजनैतिक दल के प्रदर्शनों की तुलना में अनुशासित था। दमन विरोधी रैली का आगाज फिजीकल क्षेत्र से हुआ रैली में भीड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक सिरा फिजीकल कालेज पर था तो दूसरा छोर माधव चौक पार कर गया थाए शहर के प्रमुख मार्गों फिजीकलए मोतीबाबा रोडए विष्णू मंदिर रोड से होते हुए प्रायवेट बस स्टेण्डए माधव चौकए कोर्ट रोड़, अस्पताल चौराहा आदि क्षेत्रों से होते हुए से होते हुए यह रैली नारे लगाती कलेक्टरोट की ओर कूच कर गई। आदिवासियों की अभूतपूर्व भीड़ देखने के लिए शहर वासी भी जगह जगह एकत्र हो गए। शहर में अलग अलग स्थानों पर रैली में मौजूद लोगों का जोरदार आतिशी स्वागत भी विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया गया। पालिका ने पेयजल और पुलिस ने माकूल सुरक्षा प्रबंध किए। कलेक्टोरेट पर सहरिया क्रांति एक सामाजिक संस्था के संयोजक वरिष्ठ पत्रकार संजय बेचैन के नेतृत्व में 21 सूत्रीय मांग पत्र जो सीएम के नाम था आदिवासियों को पढ़ कर सुनाया गया और बाद में यह मांग पत्र जिला कलेक्टर को सौपा गया। कलेक्टर राजी दुबे ने न केवल ज्ञापन ग्रहण किया बल्कि उन्होंने प्रतिनिधि मण्डल से करीब 45 मिनिट चर्चा कर सभी मांगों के समुचित निराकरण की ठोस पहल भी की जिस पर प्रदर्शन कारियों ने हर्ष जताते हुए प्रशासन की सराहना की। रैली का समापन भी फिजीकल क्षेत्र में सह भोज के साथ हुआ।

यह थीं मांगे
* सहरिया आदिवासियों की जमीनें दबंगों के कब्जे मुक्त नहीं हो रहीए एक माह के अन्दर त्वरित निराकरण हो।
* राशन और कैरोसिन की कालाबाजारी रोकेंए आदिवासी समाज के लिये राशन पूरा मिले और व्यवस्थाऐं दुरूस्त हों।
* सहरिया समुदाय के लगभग 70 प्रतिशत बच्चे विद्यालय जाना छोड़ चुके हैं। अतरू भाषाई शिक्षकों की तत्काल जिला स्तर पर नियुक्ति की जावे।
* कुटीरों में भ्रष्टाचार हो रहा है ऐसे में पारदर्शिता अपनाते हुए जिन.जिन लोगों की कुटीरें स्वीकृत होती हैं उसकी जानकारी समाचार पत्रों में प्रकाशन के साथ गांव की चौपाल पर चस्पा करायेंए जिससे भ्रष्टाचार पर विराम लग सके।
* आदिम जाति कल्याण विभाग या सहरिया विकास अभिकरण से स्वीकृत कुटीरें पूरी तरह भ्रष्टाचार की गिर त में हैं। इन कुटीरों की जांच कराकर दोषियों को दण्डित करें।
* आंगनवाडिय़ों में सहरिया बच्चों को समुचित पोषणहार वितरित नहीं होताएआंगनवाड़ी कार्यकर्ता गांव में ही निवास करें, यह व्यवस्था सुनिश्चित करें।
* रोजगार गारन्टी के कामों में फर्जीवाड़ा रोका जाकर सहरिया युवाओं को रोजगार हेतु कार्य स्वीकृत किये जायें।
* जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिये सहरिया परेशान हैंए जाति प्रमाण पत्रों उचित व्यवस्था बने।
* सहरिया आदिवासी बस्तियों में साफ.स्वच्छ पेयजल उपलब्धता की जावे।
* सहरिया आदिवासियों के साथ दबंगो के अत्याचारों की असुनवाई बंद हो।
* शिक्षित सहरिया आदिवासी युवक.युवतियों को रोजगार में प्राथमिकता दी जावे।
* आदिवासी बस्तियों में अवैध शराब की दुकानें स्थापित कर दी गई हैं, अवैध शराब की दुकानें तत्काल बन्द की जावें।
* वन भूमि पर वर्षों से काबिज सहरिया.आदिवासियों को बेदखल न किया जाए।
* विस्थापन के समय लगभग दो दर्जन गांवों के आदिवासियों से शासन ने जो वादे किये थे, उन पर अमल नहीं हुआ है ये वादे पूरे हों।
* शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं से स बन्धित समस्याओं का एक माह में निराकरण हो।
* खेतों में सिंचाई के लिये नहर एवं जलाशयों से पानी लेने की अनुमति दी जाए।
* राशन कार्ड गिरबी रखने वाले रैकिट पर कानूनी कार्यवाही की जावे।
* आदिवासी गांवों में बिजली पहुंचाने के लिये त्वरित प्रयास किये जावें।
* आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य सुविधाऐं सुगम बनाई जाऐं।


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