प्रोपेसर सीपी सिकरवार जैसे ही लोग समाज में आदर्श होते है

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शिवपुरी। वर्तमान युग में जब अधिकांश लोग स्वार्थों में लिप्त हैं। समाज में से आदर्श मरते जा रहे हैं ऐसे माहौल में प्रो. चंद्रपाल सिंह सिकरवार जैसे लोगों का होना अपवाद है जो नि:स्वार्थभाव से सेवा करने में सुख महसूस करते हैं लेकिन ऐसे लोग ही समाज के आदर्श बनते हैं।

उक्त प्रेरणास्पद उद्गार प्रो. चंद्रपाल सिंह सिकरवार स्मृति सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अंजुलो पालो ने व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध संत कृपाल सिंह ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि मानव सेवा करने वालों पर ईश्वर की कृपा रहती है।

समारोह में शिक्षाविद माधवशरण द्विवेदी को डॉ. चंद्रपाल सिंह सिकरवार स मान से स मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. परशुराम शुक्ल विरही ने बड़ी ही खूबसूरती से डॉ. चंद्रपाल सिंह सिकरवार के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और उनके जीवन से जुड़े कई अनछूये पहलुओं को भी स्पष्ट किया।

कलेक्टर बंगला रोड स्थित पार्थ अकादमी में आयोजित इस गरिमापूर्ण समारोह में प्रारंभ में अतिथियों ने डॉ. सिकरवार के चित्र पर माल्यार्पण तथा मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन कर विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मुख्य अतिथि अंजुलो पालो ने अपने संबोधन में कहा कि उन्होंने शिवपुरी में डॉ. चंद्रपाल सिंह सिकरवार के योगदान के बारे में बहुत कुछ सुना है। उनके पढ़ाये हुए विद्यार्थी आज देश, प्रदेश और विदेश में अच्छे पदों पर काबिज हैं।

डॉ. सिकरवार के जन्मदिवस पर सबसे अच्छी प्रेरणा यही ली जा सकती है कि हम अपनी ओर से समाज को कुछ न कुछ देने का प्रयास अवश्य करेंगे। उनके पढ़ाये हुए विद्यार्थी उनके द्वारा दिये गये ज्ञान को बांटकर समाज में एक रोशनी की किरण अवश्य बिखेरेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि न्यायिक सेवा विभाग में शिवपुरी की एक विशिष्ट पहचान है और शिवपुरी के 50 से अधिक जज प्रदेश की न्यायिक सेवा में पदस्थ हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए संत कृपाल सिंह ने कहा कि ईश्वर का अंश हम सबके भीतर है।

ईश्वरीय शक्ति से प्रत्येक व्यक्ति परिपूर्ण है इसलिए अपना जीवन परमार्थ के कार्यों में लगाना चाहिए और डॉ. सिकरवार के जन्मदिवस पर प्रेरणा लेकर हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि डॉ. सिकरवार के कर्म ऐसे थे कि वह ईश्वर में लीन नहीं हुए बल्कि समूचा ईश्वर उनमें लीन हो गया। उन्होंने कहा कि समुद्र समाना बूंद में बिरला जाने कोये। समारोह में स मानित होने वाले शिक्षाविद माधवशरण द्विवेदी ने साफतौर पर कहा कि समाजसेवा की प्रेरणा उन्हें प्रो. सिकरवार से मिली।

वह निष्काम कर्मयोगी थे और कर्म को पूजा का दर्जा  देते थे लेकिन इसके बाद भी ईश्वर के प्रति उनकी दृढ़ आस्था थी। ईश्वर के प्रति आस्था के कारण ही वह हमेशा निरहंकारी बने रहे।

कार्यक्रम में श्री द्विवेदी को भेंट किये गये स मान पत्र का वाचन नागरिक सहकारी बैंक के अध्यक्ष अजय खैमरिया ने किया और उन्होंने इस अवसर पर डॉ. सिकरवार, डॉ. परशुराम शुक्ल विरही, मधुसूदन चौबे और माधवशरण द्विवेदी का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान में जब शिक्षक जैसी संस्था का क्षरण होता जा रहा है ऐसे माहौल में शिवपुरी में शिक्षकों की उक्त परंपरा प्रकाश स्त भ का कार्य कर आशा की किरण जगाती है।

कार्यक्रम में माधवशरण द्विवेदी का शॉल और श्रीफल से संत कृपाल सिंह जी ने स मान किया जबकि उन्हें स मान पत्र जिला न्यायाधीश अंजली पालो ने भेंट किया। समारोह में कविता के माध्यम से पुलिस विभाग में आरआई के पद पर पदस्थ अरविंद सिंह सिकरवार ने डॉ. सिकरवार के प्रति श्रद्धासुमन व्यक्त किये।

अतिथियों के स मान में स्वागत भाषण सुश्री जया शर्मा ने दिया जबकि अतिथियों का माल्यार्पण द्वारा स्वागत कार्यक्रम का संचालन डॉ. सिकरवार के शिष्य गोविंद सिंह सेंगर ने किया। कार्यक्रम का संचालन अशोक कोचेटा ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म समाजसेवी और तरुण सत्ता के प्रधान संपादक डॉ. रामकुमार शिवहरे ने निर्वाह की। 
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